apne jivan ki kisi yadkar ghatna
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hey dear pls mark as brainliest
माता-पिता कहते हैं कि अब तुम बड़े हो गये हो। मैं भी कभी-कभी सोचता हूँ कि क्या मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ। हाँ, मैं सचमुच बड़ा हो गया हूँ। मुझे बीते दिनों की कुछ बातें आज भी याद हैं जो मेरा मार्गदर्शन कर रही हैं। एक घटना ऐसी है जिसे मैं आज भी याद करके आनन्द विभोर हो उठता हूँ। घटना कुछ इस तरह से है। कोई दो तीन साल पहले की घटना है। मैंने एक दिन देखा कि हमारे आँगन में लगे वृक्ष के नीचे एक चिड़िया का बच्चा घायल अवस्था में पड़ा है। मैं उस बच्चे को उठा कर अपने कमरे में ले आया। मेरी माँ ने मुझे रोका भी कि इसे इस तरह न उठाओ यह मर जाएगा किन्तु मेरा मन कहता था कि इस चिडिया के बच्चे को बचाया जा सकता है। मैंने उसे चम्मच से पानी पिलाया। पानी मुँह में जाते ही उस बच्चे ने जो बेहोश-सा लगता था पंख फड़फड़ाने शुरू कर दिये। यह देख कर मैं प्रसन्न हुआ। मैंने उसे गोद में लेकर देखा कि उस की टांग में चोट आई है। मैंने अपने छोटे भाई से माँ से मरहम की डिबिया लाने को कहा। वह तुरंत मरहम की डिबिया ले आया। उस में से थोड़ी सी मरहम मैंने उस चिड़िया के बच्चे की चोट पर लगाई। मरहम लगते ही मानो उसकी पीड़ा कुछ कम हुई। वह चुपचाप मेरी गोद में ही लेटा था। मेरा छोटा भाई भी उस के पंखों पर हाथ फेर कर खुश हो रहा था। कोई घंटा भर मैं उसे गोद में ही लेकर बैठा रहा। मैंने देखा कि बच्चा थोड़ा उड़ने की कोशिश करने लगा था। मैंने छोटे भाई से एक रोटी मँगवाई और उसकी चूरी बनाकर उसके सामने रखी। वह उसे खाने लगा। हम दोनों भाई उसे खाते हुए देख कर खुश हो रहे थे। मैंने उसे अब अपनी पढ़ाई की। मेज़ पर रख दिया रात को एक बार फिर उस के घाव पर मरहम लगाई। दूसरे दिन मैंने। देखा चिड़िया का वह बच्चा मेरे कमरे में इधर-उधर फुदकने लगा है। वह मुझे देख चींचीं करके मेरे प्रति अपना आभार प्रकट कर रहा था। एक दो दिनों में ही उस का घाव ठीक हो गया और मैंने उसे आकाश में छोड़ दिया। वह उड़ गया। मुझे उस चिड़िया के बच्चे। के प्राणों की रक्षा करके जो आनन्द प्राप्त हुआ उसे मैं जीवन भर नहीं भुला पाऊँगा।