Apne Mitra ko uski Mata ka Achanak nidhan hone par Patra likhiye
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71-ए करोल बाग
नई दिल्ली।
दिनांक 10 मार्च 2019
प्रिय मित्र राकेश,
आज प्रातः अपने सहपाठी तथा मित्र रवि की जबानी तुम्हारी पूजनीय माता जी के स्वर्गवास की बात जानकर मैं स्तब्ध रह गया। पहले तो मुझे इस घटना पर विश्वास ही नहीं हुआ, क्योंकि अभी पिछले महीने ही जब नैनीताल से लौटते हुए मैंने उनके दर्शन किए थे तो वह स्वस्थ थी। वक़्त अचानक ही झपट कर उन्हें हमसे इतनी जल्दी ले जाएगा, इसकी मुझे कल्पना भी ना थी। इस स्थिति में आप की माता जी के देहावसान का समाचार सुनकर मुझे अत्यधिक दुख पहुंचा है।
उनकी मृत्यु का दुखद समाचार सुनकर एक बार उनकी सौम्य में मूर्ति मेरी आंखों के सम्मुख घूम गई। रह-रहकर मुझे उनके वे आशीर्वाद और उपदेश स्मरण आते हैं, जिनकी वह हम पर वर्षा किया करती थी। हाय, सचमुच अब हम उन्हें कभी ना देख सकेंगे।
मित्रवर, काल की यही गति है। सभी प्राणियों का यही अंत है यह सोचकर हमें अपने मन में धैर्य धारण करना पड़ता है। मैं भगवान से यही प्रार्थना करता हूं कि वह तुम्हें इस महान आगाज आघात को सहन करने की शक्ति दे तथा दिवंगत आत्मा को सद्गति प्रदान करें।
तुम्हारा सह्रदय
कृष्ण
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