Apne nagar ke samachar patra sampadak ko mohlle mein chal rahi juwa kori ki jankari dene ke liye patra likho
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अशोक कदम,
गाँवदेवी रोड, दादर पश्चिम,
मुंबई – ४२
दिनांक : ०९/०१/२०१६
प्रिय मित्र भाविक,
सप्रेम नमस्कार,
मैं यहाँ कुशलतापूर्वक हूँ और उम्मीद करता हूँ कि तुम भी कुशलता से होंगे | जब से छात्रावास आया हूँ ऐसा लगता है कि तुम मुझे भूल ही गए हो | न कभी पत्र लिखते हो न कभी फ़ोन करते हो | तुम तो घर बैठे व्यस्त हो गए हो | इसलिए मैंने सोचा मैं ही पत्र लिख दूँ |
गाँवदेवी रोड, दादर पश्चिम,
मुंबई – ४२
दिनांक : ०९/०१/२०१६
प्रिय मित्र भाविक,
सप्रेम नमस्कार,
मैं यहाँ कुशलतापूर्वक हूँ और उम्मीद करता हूँ कि तुम भी कुशलता से होंगे | जब से छात्रावास आया हूँ ऐसा लगता है कि तुम मुझे भूल ही गए हो | न कभी पत्र लिखते हो न कभी फ़ोन करते हो | तुम तो घर बैठे व्यस्त हो गए हो | इसलिए मैंने सोचा मैं ही पत्र लिख दूँ |
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विद्यालय तथा विश्वविद्यालय स्तर पर संपादक को पत्र लिखने के लिए प्रश्न पूछे जाते हैं , जिसमें विद्यार्थी मूलभूत संरचनाओं से भ्रमित हो जाते हैं। वह आम पत्र तथा संपादक को लिखे जाने वाले पत्र के प्रारूप से भटक जाते हैं। जबकि उन्हें इस पत्र को लिखना आता है फिर भी छात्र इस पत्र को लिखने में संकोच करते हैं
इस लेख को पढ़ने के बाद छात्र , संपादक को किसी भी विषय पर पत्र लिखने के लिए सक्षम हो जाएंगे। चाहे वह निजी जीवन में पत्र लिखना हो या विद्यालय विश्वविद्यालय के परीक्षाओं में।
वह कहीं भी इस प्रारूप को अपनाकर संपादक के नाम पत्र लिख सकते हैं।
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