apne Nani Nana par 150 sabd ka anuchchhed
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दादा-दादी परिवार के सबसे बड़े सदस्य होते हैं। ये अपने परिवार के सभी सदस्यों के जीवन में सबसे प्रभावशाली और महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं। ये निस्वार्थ भाव से अपने परिवार की देखभाल करते हैं और उन्हे बेहद प्यार करते हैं।
कहते हैं बच्चे की सबसे पहली पाठशाला उसका घर होता हैं और उसके अध्यापक घर के बड़े बुजुर्ग। खेल-खेल में हम अपने दादा-दादी से इतना कुछ सीख लेते हैं जिसका एहसास हमें बड़े होने पर होता हैं।
जैसे किसी के दादा-दादी ने उन्हें गणित की टेबल याद कराई तो किसी ने घर के बुजुर्गों से अख़बार पढ़ना सीखा। इसके अलावा कई लोग ऐसे भी हैं जिनको किताब पढने की आदत अपने दादा-दादी से तोहफ़े के रुप में मिलती हैं।
बच्चे कई बार अपनी दिल की बातें माता-पिता से साझा ना करें लेकिन अपने दादा-दादी से ज़रूर करते हैं। उसकी एक वजह यह भी होती हैं कि उन्हें भरोसा होता हैं कि वह उनकी बातों को समझ कर उनकी समस्या को हल कर देंगे और डाँट भी नहीं पड़ेगी।
सच में दादा-दादी के साथ रहना अपने आप में एक अनोखा एहसास हैं, वह न केवल ज्ञान के मोतिया बिखेरते हैं बल्कि हमारे जीवन को प्यार और खुशियों से भी भर देते हैं। उनकी आस पास होने की भावना को शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता। वह लोग बहुत भाग्यशाली होते हैं जिनकी तीन पीढ़ियाँ एक ही छत के नीचे रहती हैं।दादा-दादी के पास अनेकों अच्छी-अच्छी कहानियाँ व कविताएँ होती हैं जिनमें बहुत सारा ज्ञान और जीवन को सफलतापूर्वक जीने का संदेश छुपा होता है। ये अपने ज्ञान और अनुभव को कहानियों के माध्यम से इतने रोचक ढंग से बच्चों के सामने प्रस्तुत करते है कि बच्चे भी उन्हें बड़े चाव से सुनते हैं।
लेकिन कभी भी दादा-दादी की कहानियाँ ख़त्म नही होती । इससे बच्चे की सोचने समझने कि शक्ति तो बढ़ती ही है और साथ ही वो खुद से भी नए-नए विचारों को उत्पन्न कर सकते हैं। भले ही आज इंटरनेट पर दादी-दादी की कहानियाँ उपलब्ध हैं लेकिन असली मजा तो उनकी की गोद में बैठकर ही सुनने में आता हैं। दादा दादी नाना नानी की कोई और जगह नहीं ले सकता है और ना ही उनके प्रेम एवं स्नेह का कोई प्रतिस्थापन है, बस इसलिए बुजुर्गों को यूं ही अनमोल नहीं कहा जाता है क्योंकि हम माने या ना मानेयह हमारे जीवन की विशेष संपदा है, प्यार और विश्वास का जोड़ है और इन्हीं सब रिश्तो के कारण ही हम धनवान कहलाते हैं और अगर हम अपने इन्ही रिश्तो को भूल बैठे, तो बहुत रुपया पैसा होने के बावजूद भी हमसे ज्यादा गरीब कोई और नहीं होगा।
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MARK AS BRAINLIEST
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दा-दादी परिवार के सबसे बड़े सदस्य होते हैं। ये अपने परिवार के सभी सदस्यों के जीवन में सबसे प्रभावशाली और महत्वपूर्ण व्यक्ति होते हैं। ये निस्वार्थ भाव से अपने परिवार की देखभाल करते हैं और उन्हे बेहद प्यार करते हैं।
कहते हैं बच्चे की सबसे पहली पाठशाला उसका घर होता हैं और उसके अध्यापक घर के बड़े बुजुर्ग। खेल-खेल में हम अपने दादा-दादी से इतना कुछ सीख लेते हैं जिसका एहसास हमें बड़े होने पर होता हैं।
जैसे किसी के दादा-दादी ने उन्हें गणित की टेबल याद कराई तो किसी ने घर के बुजुर्गों से अख़बार पढ़ना सीखा। इसके अलावा कई लोग ऐसे भी हैं जिनको किताब पढने की आदत अपने दादा-दादी से तोहफ़े के रुप में मिलती हैं।
बच्चे कई बार अपनी दिल की बातें माता-पिता से साझा ना करें लेकिन अपने दादा-दादी से ज़रूर करते हैं। उसकी एक वजह यह भी होती हैं कि उन्हें भरोसा होता हैं कि वह उनकी बातों को समझ कर उनकी समस्या को हल कर देंगे और डाँट भी नहीं पड़ेगी।
You can write both on Nani Nana and Dada dadi