Apne par vishwas rakho sandeh bhagaa do...hindi poem
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अभी समय है, अभी नहीं कुछ भी बिगड़ा है
देखो अभीसुयोग तुम्हारे पास खड़ा है
करना है जो काम उसी ने अपना चित्त लगा दो
अपने पर विश्वास करो, और संदेह भगा दो |
पूर्ण तुम्हारा मनोमिष्ट क्या कभी न होगा?
होगा तो बस अभी, नहीं तो कभी न होगा,
देख रहे हो श्रेष्ट समय के क्किस सपने को
छलते हो यो हाय ! स्वयं ही क्यों अपने को|
तुच्छ कभी तुम न समझो एक पल को भी
पल – पल से ही बना हुआ जीवन को मानो तुम
इसके सद्व्यय रूप नीर सिंचन के द्ववारा
हो सकता है सफल जन्मतरु यहाँ तुम्हारा|
ऐसा सुसमय भला और कब तुम पाओगे
खोकर पीछे इसे सर्वथा तुम पछताओगे,
तो इसमें वह काम नहीं क्यों तुम कर जाओ
हो जिसमे परमार्थ तथा तुम भी सुख पओगे|
देखो अभीसुयोग तुम्हारे पास खड़ा है
करना है जो काम उसी ने अपना चित्त लगा दो
अपने पर विश्वास करो, और संदेह भगा दो |
पूर्ण तुम्हारा मनोमिष्ट क्या कभी न होगा?
होगा तो बस अभी, नहीं तो कभी न होगा,
देख रहे हो श्रेष्ट समय के क्किस सपने को
छलते हो यो हाय ! स्वयं ही क्यों अपने को|
तुच्छ कभी तुम न समझो एक पल को भी
पल – पल से ही बना हुआ जीवन को मानो तुम
इसके सद्व्यय रूप नीर सिंचन के द्ववारा
हो सकता है सफल जन्मतरु यहाँ तुम्हारा|
ऐसा सुसमय भला और कब तुम पाओगे
खोकर पीछे इसे सर्वथा तुम पछताओगे,
तो इसमें वह काम नहीं क्यों तुम कर जाओ
हो जिसमे परमार्थ तथा तुम भी सुख पओगे|
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