apne shehar atwa gao ki sadak ki satti
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सुंद्रेल-बिजवाड़। क्षेत्र से गुजरने वाले इंदौर-बैतूल राष्ट्रीय राजमार्ग की हालत देख लगता है कि जैसे वो किसी पिछड़े गांव की सड़क हो। सड़क का अधिकांश हिस्सा उखड़ चुका है। वाहन चालक गड्ढों में सड़क ढूंढने को मजबूर हैं। इसके लिए वो जिम्मेदारों को कोसते नजर आते हैं और जिम्मेदार हैं कि आंख-कान बंद किए बैठे हैं।
चापड़ा से कलवार घाट तक के तकरीबन 50 किमी का यह इंदौर-बैतूल मार्ग बेहद खतरनाक हो चुका है। निर्माण को बमुश्किल पांच साल भी नहीं हुए होंगे, लेकिन हालत देखकर लगता है कि वर्षों पहले बनाया गया होगा। बारिश में तो इस मार्ग की रह-सही कसर भी पूरी हो गई। पानी की बड़ी-बड़ी बूंदों ने एक तरह से सड़क को छलनी कर दिया। जो गड्ढे पहले से उभर आए थे, वे बारिश की बूंदों का साथ लेकर अब आकार में काफी बड़े हो गए हैं, जिन्होंने पानी के डबरों का रूप ले लिया है।
कार और छोटे वाहन के पहिए इन गड्ढों में आधे-आधे उतर जाते हैं। इससे वाहनों में टूट-फूट होती है सो अलग। छोटे वाहन ही नहीं यहां तो लंबी दूरी की जो बसें निकलती हैं, उनमें अकसर खराबी आ जाती है। यात्री बसें इस रोड के कारण अपने निर्धारित स्थल पर दो-ढाई घंटे देरी से पहुंचती है। मार्ग से हजारों वाहन गुजरते हैं, लेकिन निर्माण के बाद से मार्ग के उचित तरह से पैचवर्क की तरफ जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया। लगातार वाहन चालकों की नाराजगी के बाद गर्मी के दिनों में रोड पर जो पैचवर्क किया था, वह भी बारिश में निकल चुका है।
4 साल में ही ट्रक खराब
इस मार्ग से प्रतिदिन गुजरने वाले ट्रक चालकों का दर्द भी बड़ा है। उनके लाखों के वाहन तीन-चार साल में ही जर्जर व क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। ट्रक चालक दीपक पटेल ने बताया कि मुझे माल लेकर अकसर इंदौर इसी रोड से होकर जाना पड़ता है। रोड के गड्ढों ने ट्रक को खराब कर दिया है। इस रोड से गुजरने के बाद ट्रक को मैकेनिक को दिखाना ही पड़ता है। एक अन्य ट्रक चालक दिलीप सोलंकी का कहना है मेरा ट्रक अकसर इंदौर व नेमावर जाता है। ट्रक को खरीदे हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ, लेकिन रोड की जर्जर हालत ने ट्रक की भी हालत खराब कर दी है। हम लोग लंबे समय से रोड की मरम्मत के लिए मांग करते आ रहे हैं, लेकिन किसी ने हमारी पीड़ा नहीं समझी।
चापड़ा से कलवार घाट तक के तकरीबन 50 किमी का यह इंदौर-बैतूल मार्ग बेहद खतरनाक हो चुका है। निर्माण को बमुश्किल पांच साल भी नहीं हुए होंगे, लेकिन हालत देखकर लगता है कि वर्षों पहले बनाया गया होगा। बारिश में तो इस मार्ग की रह-सही कसर भी पूरी हो गई। पानी की बड़ी-बड़ी बूंदों ने एक तरह से सड़क को छलनी कर दिया। जो गड्ढे पहले से उभर आए थे, वे बारिश की बूंदों का साथ लेकर अब आकार में काफी बड़े हो गए हैं, जिन्होंने पानी के डबरों का रूप ले लिया है।
कार और छोटे वाहन के पहिए इन गड्ढों में आधे-आधे उतर जाते हैं। इससे वाहनों में टूट-फूट होती है सो अलग। छोटे वाहन ही नहीं यहां तो लंबी दूरी की जो बसें निकलती हैं, उनमें अकसर खराबी आ जाती है। यात्री बसें इस रोड के कारण अपने निर्धारित स्थल पर दो-ढाई घंटे देरी से पहुंचती है। मार्ग से हजारों वाहन गुजरते हैं, लेकिन निर्माण के बाद से मार्ग के उचित तरह से पैचवर्क की तरफ जिम्मेदारों ने ध्यान नहीं दिया। लगातार वाहन चालकों की नाराजगी के बाद गर्मी के दिनों में रोड पर जो पैचवर्क किया था, वह भी बारिश में निकल चुका है।
4 साल में ही ट्रक खराब
इस मार्ग से प्रतिदिन गुजरने वाले ट्रक चालकों का दर्द भी बड़ा है। उनके लाखों के वाहन तीन-चार साल में ही जर्जर व क्षतिग्रस्त हो रहे हैं। ट्रक चालक दीपक पटेल ने बताया कि मुझे माल लेकर अकसर इंदौर इसी रोड से होकर जाना पड़ता है। रोड के गड्ढों ने ट्रक को खराब कर दिया है। इस रोड से गुजरने के बाद ट्रक को मैकेनिक को दिखाना ही पड़ता है। एक अन्य ट्रक चालक दिलीप सोलंकी का कहना है मेरा ट्रक अकसर इंदौर व नेमावर जाता है। ट्रक को खरीदे हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ, लेकिन रोड की जर्जर हालत ने ट्रक की भी हालत खराब कर दी है। हम लोग लंबे समय से रोड की मरम्मत के लिए मांग करते आ रहे हैं, लेकिन किसी ने हमारी पीड़ा नहीं समझी।
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