apni Dharti Mata ko Unki vyatha ko kam karne Sankalp lete Hue Ek Patra likhiye
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धरती माँ को उनकी व्यथा को कम करने के लिये संकल्प पत्र
हे धरती माँ,
आपको शत् शत् नमन
हम सब आपकी संताने आपको भरे हृदय से ये पत्र लिख रहे हैं। माँ हम सबने आपको कितना दुःख दिया है। कहते हैं कि माँ का हृदय कितना विशाल होता है जो अपनी संतान पर अपना सब कुछ न्यौछावर कर देना चाहती है। माता कभी कुमाता नही होती, लेकिन पूत कपूत हो सकता है। हम भी आपकी कुसंताने बन गये हैं। एक संतान द्वारा अपनी माँ को जो सम्मान देना चाहिये था वैसा सम्मान हमने आपको नही दिया जबकि आपने हमें इतना सब कुछ दिया था। माँ आप तड़प रही हो, रो रही हो। अपनी व्यथा किसी से नही कह पा रही हो।
हमने विकास के नाम पर आपसे कितना छल किया है। हमने आपको पूरी तरह गंदा कर रखा है। हमने आपको वाहनों, कल-कारखानों आदि से निकलने वाला जहरीला धुआं दिया है। हमने केमिकल, प्लास्टिक, पॉलीथिन और कूड़ा-करकट द्वारा आपकी मिट्टी को दूषित किया है। हमने समन्दर और नदियों के पानी को दूषित किया है। हमने जंगलों को उजाड़कर आपकी हरियाली को नष्ट किया। हमने आपको बंजर बनाने में कोई कसर नही छोड़ी है।
हे धरती माँ ! हमें अपने इन कृत्यों पर बहुत शर्मिंदगी महसूस हो रही है। हमें अपनी गलती का अहसास हो गया है। आप अपनी व्यथा भले ही हमसे नही कह पा रही हो पर हम आपकी व्यथा को समझ गये हैं।
संकल्प लेते हैं कि आज से आपका पूरा ध्यान रखेंगे। हम अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाकर आपको पहले जैसा हरा-भरा करेंगे। हम वायु प्रदूषण उत्पन्न करने वाले कारकों को खत्मकर आपकी वायुमंडल की हवा को शुद्ध करने का पूरा प्रयास करेंगे। हम सभी नदी-तालाबों आदि के पानी को साफ करेंगे और ये प्रयास करेंगे कि नदियां आदि फिर से गंदी न हों। हम प्लास्टिक और पॉलीथिन जैसे नष्ट न होने वाले और पर्यावरण के लिये प्रतिकूल वस्तुओं का उपयोग पूरी तरह से बंद करने का संकल्प लेते हैं।
हे धरती माँ ! ये कुछ संकल्प हैं जिन्हें पूरा कर हम आपके द्वारा किये गये उपकारों का ऋण का कुछ अंश चुका सकते हैं। आपके हम पर इतने उपकार हैं कि हम थोड़ा सा भी ऋण चुका सके तो हम स्वयं को सौभाग्याशाली समझेंगे।
आपकी सेवा को तत्पर
हम सब आपकी संतानें