apni dincharya batate hue apne chacha ji ko patra likhiye
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पत्र लेखन दो व्यक्तियों के बीच संवाद स्थापित करने का एक साधन है। प्राचीन समय में भी इसका प्रचलन रहा है। आज भी है, परंतु प्रारूप में परिवर्तन आ गया है।
सूचना-क्रांति के इस युग में मोबाइल फ़ोन, इंटरनेट आदि के प्रचलन से पत्र-लेखन में कमी आई है, फिर भी पत्रों का अपना विशेष महत्त्व है और रहेगा।
अन्य कलाओं की तरह ही पत्र-लेखन भी एक कला है। पत्र पढ़ने से लिखने वाले की एक छवि हमारे सामने उभरती है। कहा गया है कि धनुष से निकला तीर और पत्री में लिखा शब्द वापस नहीं आता है, इसलिए पत्र-लेखन करते समय सजग रहकर मर्यादित शब्दों का ही प्रयोग करना चाहिए।
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