apni gandh nahi bechunga is kavita ka padya vishleshan kijiye hindi me
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narad ka paad. hakkudobsisnshsjsjsjs hakkudobsisnshsjsjsjs hakkudobsisnshsjsjsjs hakkudobsisnshsjsjsjs hakkudobsisnshsjsjsjs hakkudobsisnshsjsjsjs hakkudobsisnshsjsjsjs hakkudobsisnshsjsjsjs hakkudobsisnshsjsjsjs hakkudobsisnshsjsjsjs hakkudobsisnshsjsjsjs 4
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बलकवि बैरागी द्वारा रचित गीत 'अपनी गंध नहीं बेचूंगा' का पद्य विश्लेषण निम्नलिखित है-
- यह गीत प्रतिबद्धता के दायरे में लिखा हुआ एक सरल, सहज किंतु गहरी जन संवेदनाओं से ओत-प्रोत गीत हैं।
- यह गीत स्पष्ट संकेत देता हैं कि जीवन में सब कुछ खो जाए परंतु आत्म-सम्मान कभी नहीं खोने देना चाहिए।
- मानवीय, उदार और विराट व्यक्तित्व वाले कवि बैरागी जी बनावटी युग में निडर होते हुए खुद को अलग रखा उसकी झलक इस गीत में साफ दिखाई देती हैं।
- इस गीत मे संघर्ष करते हुए आशावादी भाव के साथ आगे बढ़ने की शिक्षा और सुझाव दोनों हैं।
- इस गीत में लय और शब्दों का तालमेल बहुत ही अच्छा हैं, जो की इस गीत को उच्चकोटि का बनाता हैं।
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