Apni karni paar utarni par kahani likhe
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अपनी करनी पार उतरनी
आज क्या, किसी भी युग में व्यक्ति का अपना कर्म ही सब से बढ़कर उसका विश्वसनीय सहायक रहा और हमेशा रहेगा भी। आज के युग में तो अपने कर्म पर और भी भरोसा इस कारण आवश्यक है कि आज हर व्यक्ति केवल अपने लिए जी रहा है। उसे दूसरों के जीने-मरने की कतई कोई चिन्ता नहीं। वैसे भी जमाना आत्मविश्वासी और स्वावलम्बी का ही हुआ करता है, यह एक परीक्षित सत्य है।
‘अपनी करनी पार उतरनी’ कह कर वास्तव में कहने वाला व्यक्ति का आत्मविश्वास जगाना और स्वावलम्ब हुआ करता है। इसी प्रकार स्वावलम्बन से ही व्यक्ति में आत्म भाव जागा करता है। एक और भी कहावत है कि ‘आप न मरिए स्वर्ग न जाइए।’
अर्थात् स्वर्ग-नरक क्या है, इसे स्वयं मर कर ही जाना जा सकता है। दूसरे शब्दों में वास्तव में सुख क्या है, दुःख क्या है, इसका ज्ञान स्वावलम्बी ही प्राप्त कर पाया करता है। उसके लिए जीवन-समाज में कुछ भी कर पाना, कुछ भी प्राप्त करना कतई संभव नहीं होता कि जो अपने कर्म पर विश्वास कर उसमें जुट नहीं जाया करता। आज तक जिस किसी ने भी सफलता पाई है, अपने कर्म और परिश्रम के बल पर ही प्राप्त की है।