apni Kisi Ek rakhi ke baare mein batao
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राखी का त्यौहार प्रतिवर्ष मैं अपने भाई के साथ बहुत उल्लास से मनाती हूँ| दो वर्ष पूर्व मैं राखी के दिन बहुत उदास थी| क्योंकि मेरे भय्या एम बी ए करने के लिए यू एस गए हुए थे| समय में अंतर होने की वजह से उनका कोई फोन भी नहीं आया था| मैं सुबह से ही अपने कमरे में अकेली बैठी भय्या की फोटो और उनके दिए उपहार देख रही थी| माँ ने बहुत समझाया पर मुझे खाना खाने की भी इच्छा नहीं थी| शाम को पापा मेरे कमरे में आये और समझाने लगे कि सच्चा स्नेह हो तो दूरियों का कोई अर्थ नहीं होता| फिर राखी का बंधन तो भाई-बहन का प्रेम है, किसी धागे का मोहताज नहीं| उन्होंने मुझे मन अच्छा करने के लिए पास के पार्क जाने की सलाह दी| मैं वहां जाकर एक बेंच पर बैठ गई| पास ही भय्या की ही उम्र के एक युवक बैठे थे| वो बार-बार एक फोटो देख रहे थे और आंसुओं को रोकने का असफल प्रयास कर रहे थे| मुझे अजनबी से बात करने में हिचक होती है पर उनमे मुझे अपने भय्या नजर आये| मैंने उनकी उदासी का कारण पूछा तो उन्होंने वो फोटो मुझे दिखाई| अपना नाम बताकर वे कहने लगे कि ये उनकी बहन है जो दो महीने पहले सडक दुर्घटना का शिकार होकर इस दुनिया से चली गई| अब उनके आंसू चेहरे पर ढुलक आये थे| मैंने उनसे मेरे घर चलने का आग्रह किया और बताया कि मेरे भय्या विदेश गये है| घर पर माँ-पापा से मिलवाया| उन्हें पूरी बात बताई| वो पापा के एक मित्र के पुत्र थे| माँ पूजा की थाली ले आई और मुझे राखी बांधने को कहा| मेरे राखी बांधते ही जय भय्या बहुत खुश हुए और मुझसे आजीवन राखी बंधवाने का वायदा किया| तभी यु एस से भय्या का भी फोन आ गया| मेरी ख़ुशी दुगुनी हो गई| माँ- पापा ने हम तीनों भाई-बहन को आशीर्वाद दिया|
srilu7th:
hi
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