Hindi, asked by nanu113, 1 year ago

apni Kisi Yatra ke khatte Meethe Anubhav ko anuched ke roop Mein likhe

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Answered by mchatterjee
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जब मैं पहली बार दिल्ली गई थी एक प्रतियोगिता में वहां पर मेरी मुलाकात एक बहुत अच्छी और प्यारी मैम से हुई। जो सचमुच किसी देवी से कम नहीं है। मेरी परफार्मेंस से वह इतनी खुश हो गई ‌‌‌की वह स्टैज पर आकर मुझे पर्याय कर गई थी।

वह जज के रूप में वहां आई थी। बाद में पता चला वह बहुत बड़ी समाजसेवी है। जो लोगों की सेवा करना धर्म समझती है।

मुझे उनसे बात कर बहुत अच्छा लगा। मैंने उनका नंबर भी लिया। ५ वर्ष पहली की बात है यह हम उस दिन के बाद कभी नहीं मिले। मगर जब भी हम फोन पर बात करते हैं मानो ऐसा लगता है कि वह सदियों से मुझे जानती है।

वह मेरी बहुत मदद करती है। मेरी मां जैसी मुझे सही रास्ता दिखाती है।
Answered by Anonymous
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जब मैं पहली बार दिल्ली गई थी एक प्रतियोगिता में वहां पर मेरी मुलाकात एक बहुत अच्छी और प्यारी मैम से हुई। जो सचमुच किसी देवी से कम नहीं है। मेरी परफार्मेंस से वह इतनी खुश हो गई ‌‌‌की वह स्टैज पर आकर मुझे पर्याय कर गई थी।

वह जज के रूप में वहां आई थी। बाद में पता चला वह बहुत बड़ी समाजसेवी है। जो लोगों की सेवा करना धर्म समझती है।

मुझे उनसे बात कर बहुत अच्छा लगा। मैंने उनका नंबर भी लिया। ५ वर्ष पहली की बात है यह हम उस दिन के बाद कभी नहीं मिले। मगर जब भी हम फोन पर बात करते हैं मानो ऐसा लगता है कि वह सदियों से मुझे जानती है।

वह मेरी बहुत मदद करती है। मेरी मां जैसी मुझे सही रास्ता दिखाती है।
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