apni saheli ko dhanyawad patr
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कल मेरे नाम से एक पार्सल आया था जब मैंने उसे खोलकर देखा तो उसमें कहानियों की एक किताब थी। इस ज्ञानवर्धक और अत्यंत रुचिकर उपहार के लिए तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद। मैंने झट से उसकी सारी कहानियां पढ़ डाली और अपनी माता पिता और भाई बहनों को भी पढ़ाया। सब ने तुम्हें इस उपहार के लिए धन्यवाद कहा है।
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