अरे इन दोहुन राह न पाई' से कबीर का क्या आशय है और वे किस राह की बात कर | रहे हैं?
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अरे ये दोहूं राह न पाई 'से कबीर का आशय है कि हिंदी और मुसलमान दोनों व्यर्थ में समय बर्बाद कर रहे हैं।
Explanation:
1) "अरे ये दोहूं राह न पाई 'से कबीर का आशय है कि हिंदी और मुसलमान दोनों व्यर्थ में समय बर्बाद कर रहे हैं।
2) कबीर कहते हैं कि हिन्दू और मुसलमान दोनों धर्म के आधार पर खो जाते हैं। वे आडम्बर के रास्ते पर हैं।
3) वे सच्ची भक्ति और पूजा का अर्थ नहीं जानते। वे सभी अपने धर्म के साथ खिलवाड़ करने की कोशिश कर रहे हैं।"
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