अर्जुन बोले- हे कृष्ण! यहाँ मैं युद्ध के अभिलाषी स्वजनों को ही देखता हूँ। मेरे अंग शिथिल हुए हो रहे हैं और मुख सूख रहा है और मेरा शरीर काँप रहा है और रोएं खड़े हो रहे है॥ ऐसा गीता में किस श्लोक में कहा गया है
Answers
Answered by
0
Answer:
) पुस्तकें ज्ञान का भंडार होती हैं तथा पुस्तकों द्वारा ही हमारा बौद्धिक एवं मानसिक विकास संभव होता है। ज्ञान प्राप्ति का सर्वश्रेष्ठ साधन होने के साथ-साथ, पुस्तकें हमें सामाजिक व्यवहार, संस्कार, कर्तव्यनिष्ठा जैसे गुणों के संवर्धन में सहायक सिद्ध होती हैं तथा प्रबुद्ध नागरिक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। पुस्तकें हमारी सच्ची मित्र एवं गुरु भी होती हैं। अच्छी पुस्तकें चिंतामणि के समान होती हैं, जो हमारा मार्गदर्शन करती हैं तथा हमें असत् से सत् की ओर, तमस से ज्योति की ओर ले जाती हैं। पुस्तकें हमारा अज्ञान दूर करके हमें प्रबुदध नागरिक बनाती हैं।
Hope it helps......................
Answered by
0
Answer:
1 Aadhay 26 shloak answer
Similar questions