अर्जुन को किस अप्सरा ने 1 वर्ष निर्वैर होने का का श्राप दिया था
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आप पुरु वंश की जननी हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं. ' अर्जुन की बात सुन उर्वशी के मन में बड़ा क्षोभ हुआ और गुस्से में आकर अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप दे दिया – श्राप देते हुए कहा कि 'तुमने नपुंसकों जैसी बात की है. अतः तुम्हें मैं श्राप देती हूं कि तुम एक वर्ष के लिए पुंसत्वहीन रहोगे और फिर उर्वशी वहां से चली गई.
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उर्वशी ने अर्जुन को क्यों दिया था नपुंसक होने का श्राप
Explanation:
एक दिन की बात है जब अर्जुन चित्रसेन के पास नृत्य और संगीत सीख रहे थे, तभी वहां इंद्र की अप्सरा उर्वशी पहुंची. अर्जुन को देख मोहित हो गई. अवसर मिलते हीं उर्वशी ने अर्जुन से बोला कि हे अर्जुन आपको देखकर मेरी काम-वासना जाग गई है. अतः कृप्या कर मेरे साथ विहार करें और मेरी काम-वासना को शांत कीजिए. इस पर अर्जुन ने कहा कि ‘हे देवी आप हमारी माता समान हैं. हमारे पूर्वज ने आपसे विवाह कर हमारे वंश का गौरव बढ़ाया है. आप पुरु वंश की जननी हैं. मैं आपको प्रणाम करता हूं.’ अर्जुन की बात सुन उर्वशी के मन में बड़ा क्षोभ हुआ और गुस्से में आकर अर्जुन को नपुंसक होने का श्राप दे दिया – श्राप देते हुए कहा कि ‘तुमने नपुंसकों जैसी बात की है. अतः तुम्हें मैं श्राप देती हूं कि तुम एक वर्ष के लिए पुंसत्वहीन रहोगे और फिर उर्वशी वहां से चली गई.