अर्जुन को महावीर क्यो कहा गया
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कर्ण द्वारा अर्जुन को दिया गया यह उपदेश श्रीकृष्ण को शूल की तरह चुभा। वे कर्ण से बोले, 'बड़े आश्चर्य की बात है कि आज धर्म याद आ रहा है तुम्हें। उचित होता, तुमने अपने धर्म कर्मों और पापों का विचार किया होता। हे महावीर कर्ण!
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Explanation:
कर्ण को क्यों मानते हैं सर्वश्रेष्ठ योद्धा?
दरअसल, कर्ण ही एक ऐसे सर्वश्रेष्ठ योद्धा थे जिन्होंने विपरीत परिस्थिति के बावजूद खुद को एक श्रेष्ठ योद्धा के रूप में स्थापित किया था। आओ जानते हैं कर्ण के बारे में वे तथ्य जिनके कारण उन्हें महान योद्धा माना जा सकता है।
1. अर्जुन का साथ देने के लिए जगत के स्वामी थे लेकिन कर्ण का साथ देने के लिए दुर्योधन ही था। अर्जुन पूर्णत: श्रीकृष्ण पर आश्रित थे जबकि इधर दुर्योधन खुद कर्ण पर आश्रित था।
2. कर्ण को द्रोण ने वह संपूर्ण शिक्षा नहीं दी, जो उन्होंने पांडवों या कौरवों को दी थी। फिर भी कर्ण ने परशुराम से बची हुई शिक्षा छल से हासिल कर ली थी। यदि कर्ण, अर्जुन के बराबर योग्य नहीं होता तो भगवान परशुराम कर्ण को शिक्षा देने के लिए तैयार नहीं होते।
3. कर्ण एक सच्चा मित्र होने के साथ-साथ ही दानवीर भी था। स्वयं भगवान श्रीकृष्ण इस बात की पुष्टि करते हैं कि कर्ण से बड़ा दानी कोई नहीं।
4. श्रीकृष्ण की योजना के तहत कर्ण के कवच और कुंडल को छलपूर्वक अर्जुन के पिता इंद्र द्वारा हथिया लेने के बावजूद कर्ण ने युद्ध को एक योद्धा की तरह लड़ा।
5. कर्ण ने जरासंध को अकेले हराया था, वहीं भीम ने श्रीकृष्ण की मदद से जरासंध को छल के द्वारा मारा था।
6. कर्ण के पास भगवान परशुराम द्वारा दिया गया शिव का विजय धनुष था। यह धनुष जिस भी योद्धा के हाथ में होता था, उस योद्धा के चारों तरफ एक ऐसा अभेद्य घेरा बना देता था जिसे भगवान शिव का पाशुपतास्त्र भी भेद नहीं सकता था। कर्ण को महाभारत में तब तक नहीं मारा जा सकता था, जब तक कि उसके हाथ में वह धनुष था।
7. कर्ण ने कुंती को वचन दिया था कि वो उनके 4 पुत्रों की जान नहीं लेगा लेकिन वह सिर्फ अर्जुन से ही युद्ध करेगा। युद्ध के दौरान ऐसे कई मौके आए भी, जब कर्ण का सामना भीम, युधिष्ठिर, नकुल और सहदेव के साथ हुआ। वो चाहता तो उन सभी को मार सकता था किंतु उसने ऐसा नहीं किया, क्योंकि एक योद्धा का वचन ही उसके लिए सर्वश्रेष्ठ होता है।