Hindi, asked by sumansutradhar2008, 4 months ago

अर्जुन ने कर्ण का वध किस अवस्था में क्या?​

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Answered by ramneetsingh001
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महाभारत के युद्ध में कर्ण और अश्वत्थामा दो महाशक्तिशाली योद्‍धा थे यदि इन दोनों के साथ छल न किया गया होता तो महाभारत का युद्ध कौरव कभी का जीत चुके होते। कहते हैं कि यदि अश्वत्थामा को पहले ही दिन से सेनापति बना दिया जाता तो तीन दिन में युद्ध समाप्त हो जाता। लेकिन अश्वत्थामा को जब युद्ध लगभग हार चुके थे तब सेनापति बनाया गया और उन्होंने तबाही मचा दी। इसी तरह यदि कर्ण के साथ छल नहीं किया गया होता तो भी युद्ध का रुख कुछ ओर होता।

1.कवच और कुंडल : भगवान कृष्ण और अर्जुन के पिता देवराज इंद्र यह भली-भांति जानते थे कि जब तक कर्ण के पास उसका कवच और कुंडल है, तब तक उसे कोई नहीं मार सकता। तब श्री कृष्ण की युक्ति अनुसार देवराज इंद्र ने ब्राह्मण बन दानवीर कर्ण से दान में कवच और कुंडल मांग लिए। लेकिन कुछ मील जाकर इन्द्र का रथ भूमि में धंस गया।

तभी आकाशवाणी हुई, 'देवराज इन्द्र, तुमने अपने पुत्र अर्जुन की जान बचाने के लिए छलपूर्वक कर्ण की जान खतरे में डाल दी है। अब यह रथ यहीं धंसा रहेगा और तू भी यहीं धंस जाएगा।' तब इन्द्र ने आकाशवाणी से पूछा, इससे बचने का उपाय क्या है? तब आकाशवाणी ने कहा- अब तुम्हें दान दी गई वस्तु के बदले में बराबरी की कोई वस्तु देना होगी। तब इन्द्र वे फिर से कर्ण के पास गए और उन्होंने कवच और कुंडल वापस देने का कहा लेकिन कर्ण ने लेने से इनकार कर दिया। तब इंद्र ने उन्हें अपना अमोघ अस्त्र देकर कहा कि यह तुम जिस पर भी चलाओगे वह मृत्यु को प्राप्त होगा, लेकिन तुम इसका इस्तेमाल एक बार ही कर सकते हो।

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Answered by sumitsutradhar
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