Hindi, asked by ritik2008, 5 months ago

अर्जुन ने पितामह भीष्म की प्यास कैसे बुझाई थी​

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Answered by kapilchavhan223
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अर्जुन ने शरशय्या पर सोये हुए सम्पूर्ण शस्त्रधारियों में उत्तम भरतशिरो‍मणि भीष्म की रथ द्वारा की परिक्रमा करके अपने धनुष पर एक तेजस्वी बाण-का संधान किया और सब लोगों के देखते-देखते मन्त्रोचारणपूर्वक उस बाण को पर्जन्‍यास्त्र से संयुक्ति करके भीष्म के दाहिने पार्श्व में पृथ्वी पर उसे चलाया। फिर तो शीतल, अमृत के समान मधुर तथा दिव्य सुगंध एवं दिव्यरस से संयुक्त जल की सुंदर स्वच्छ धारा ऊपर की ओर उठकर भीष्म के मुख में पड़ने लगी। उस शीतल जल धारा से अर्जुन ने दिव्यकर्म एवं पराक्रम वाले कुरुश्रेष्ठ भीष्म को तृप्त कर दिया। इन्द्र के समान पराक्रमी अर्जुन के उस अद्भुतकर्म से वहाँ बैठे हुए समस्त भूपाल बड़े विस्मय को प्राप्त हुए। अर्जुन का वह अलौकिक कर्म देखकर समस्त कौरव सर्दी की सतायी हुई गौओं के समान थर-थर कांपने लगे। वहाँ बैठे हुए नरेशगण आश्चर्य से चकित हो सब ओर अपने दुपट्टे हिलाने लगे। चारों ओर शंख और नगाड़ों की गम्भीर ध्वनि गूँज उठी।[.....

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