अर्कमक और सर्कमक क्रिया की परिभाषा
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Sakarmak kriya--- जिस क्रिया में कर्म का होना ज़रूरी होता है वह क्रिया सकर्मक क्रिया कहलाती है। इन क्रियाओं का असर कर्ता पर न पड़कर कर्म पर पड़ता है। सकर्मक अर्थात कर्म के साथ।
Akarmak kriya---- जिस क्रिया का फल कर्ता पर ही पड़ता है वह क्रिया अकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इस क्रिया में कर्म का अभाव होता है। जैसे : श्याम पढता है। इस वाक्य में पढने का फल श्याम पर ही पड़ रहा है। इसलिए पढता है अकर्मक क्रिया है।
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Explanation:
अर्कमक=जो क्रिया बिना कर्म के पूर्ण हो जाता है उसे अर्कमक क्रिया कहते है।
सर्कमक =जिस क्रिया का कर्म होता है उसे अर्कमक क्रिया कहते है।
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