अरे मित्र! तुमने सिद्ध कर दिया कि तुम मेरे सच्चे मित्र हो इस पंक्ति के आराम से करते हुए कोई कहानी लिखिए|
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"मेरे प्यारे यार"
मेरा एक दोस्त था बचपन में हमेशा उसपर शक करता रहता था क्युकी बो मुझे चोर लगता था ।क्युकी में ने उसको कई बार चोरी करते देखा लेकिन एक दिन की बात है जब मेरे घर में चोरी हो गई तब मुझे उस पर शक हुआ ।मैने अपने घर पर बताया ।लेकिन चोरी उसने नहीं की थी। पुलिस ने बताया तो पता चला की चोरी गई बनिया ने की थी । उस दिन से मेरा दोस्त भी सुधार गया और मेरा अपने दोस्त पर विश्वास प्र बी बढ़ गया ।
इस प्रकार में और मेरा दोस्त हमेशा साथ रहे !!
Answer:
“अरे मित्र ! तुमने तो सिद्ध कर दिया कि तुम ही मेरे सच्चे मित्र हो।” रवि ने अपने मित्र अजय से कहा, “मैं बहत भाग्यशाली हूँ कि मुझे तुम्हारे जैसा मित्र मिला।” रवि और अजय दोनों मित्र थे। दोनों एक ही कक्षा में पढ़ते थे। अजय जहाँ समृद्ध परिवार से था वहीं रवि की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। ऐसा होने पर भी रवि बहुत स्वाभिमानी लड़का था। किसी के आगे हाथ पसारना उसे पसंद नहीं था। रवि पढ़ाई में होशियार होने के साथ खेलकूद में भी हमेशा आगे रहता था। वह अपनी विद्यालय की क्रिकेट टीम का उपकप्तान था। दूसरों की हर संभव सहायता करना उसकी आदत थी।
वैसे तो उसके अनेक मित्र थे परंतु अजय उसका सबसे प्रिय मित्र था। रवि के माता-पिता एक कारखाने में काम करते थे। एक दिन कारखाने में काम करते हुए उसके पिता दुर्घटनाग्रस्त हो गए। उनका दाँया हाथ मशीन में आ गया। डॉक्टर ने बताया कि हाथ को ठीक होने में तीनचार महीने का वक्त लगेगा। इसलिए तुम्हें तीन महीने घर पर रहकर आराम करना पड़ेगा। इसी विवशता के कारण वे नौकरी पर नहीं जा रहे थे। पिता के वेतन के अभाव में घर की आर्थिक स्थिति और भी बिगड़ गई। अब घर का खर्च केवल उसकी माता के वेतन पर ही चलता था।
रवि की वार्षिक परीक्षा निकट आ गई। रवि को अंतिम सत्र की फ़ीस तथा परीक्षा शुल्क जमा करना था पर रवि असमंजस में था कि करे तो क्या करे। एक दिन कक्षाध्यापिका ने रवि को अपने कक्ष में बुलाया और उसे अंतिम तिथि तक फ़ीस न जमा करवाने की बात कही। ऐसी स्थिति में परीक्षा में न बैठने तथा विद्यालय से नाम काटने की चेतावनी भी दी। कक्षाध्यापिका के कक्ष से निकलकर जब रवि कक्षा में पहुँचा तो वह बड़ा हताश लग रहा था।
उसे उदास देखकर अजय बोला, “मित्र ! क्या हुआ तुम बहुत उदास दिखाई दे रहे हो।” रवि पहले तो मौन रहा, पर बार-बार पूछने पर उसने सारी बात अपने मित्र को बता दी।। अजय बोला, “चिंता ना करो मित्र, ईश्वर बहुत दयालु है। वह कोई न कोई रास्ता अवश्य निकालेगा।” रवि ने अगले दिन से विद्यालय आना छोड़ दिया। जब रवि तीन-चार दिन स्कूल नहीं आया, तो अजय को चिंता हुई। उसने शाम को उसके घर जाने की सोची। जिस समय अजय वहाँ पहुँचा रवि अपने पिता जी को दवा पिला रहा था, उसकी माँ खाना बना रही थी।
अजय को देखकर रवि खुश हो गया। वह बोला, “अरे मित्र ! तुम विद्यालय क्यों नहीं आ रहे ?” तभी रवि की माँ बोली, “बेटा ! अभी फ़ीस के पैसों का इंतजाम नहीं हुआ है। मैं कोशिश कर रही हूँ।” रवि अगले दिन भी विद्यालय नहीं आया। उससे अगले दिन अजय जल्दी ही रवि के घर पहुंचा और उसे समझा-बुझाकर किसी तरह विद्यालय ले आया। रवि जब कक्षा में पहुँचा तो सीधे कक्षाध्यापिका के कक्ष में गया।
इससे पहले कि वह कुछ कहता कक्षाध्यापिका मुसकराकर बोली, “तुम्हें चिंता करने की आवश्यकता नहीं। तुम्हारी फ़ीस जमा हो चुकी है।” यह सुनकर रवि चौंका। कक्षाध्यापिका ने उसे बताया कि तुम्हारी फ़ीस तुम्हारे मित्र अजय ने जमा कर दी है। तभी छुट्टी की घंटी बज गई। रवि जब अजय के पास पहुँचा, तो उसकी आँखों में आँसू थे। अजय को देखते ही उसने उसे गले से लगा लिया और बोला, “मैं आजीवन तुम्हारा ऋणी रहूँगा। मैं तुम्हारे पैसे भी जल्दी चुका दूंगा।” किसी ने ठीक कहा है कि संकट के समय ही सच्ची मित्रता की पहचान होती है