अरुण कमल द्वारा लिखी कविता में समाज की
किस विडम्बना की बात की गई है?
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Answer:
(च) इस कविता में कवि ने शहरों की इस विडंबना की ओर संकेत किया है कि जीवन की सहजता समाप्त होती जा रही है, बनावटी चीज़ों के प्रति लोगों का लगाव बढ़ता जा रहा है। सब आगे निकलना चाहते हैं, आपसी प्रेम, आत्मियता घटती जा रही है। लोगों की और रहने के स्थान की पहचान खोती जा रही है। स्वार्थ केन्द्रित लोगों के पास दूसरे के लिए समय ही नहीं है। आज की चीज़ कल पुरानी पड़ जाती है, कुछ भी स्थाई नहीं है।
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"The greatest glory in living lies not in never falling, but in rising every time we fall." - ...
"The way to get started is to quit talking and begin doing." - ...
"Your time is limited, so don't waste it living someone else's life. ...
"If life were predictable it would cease to be life, and be without flavor." -