Hindi, asked by jamaruddin32, 3 months ago

अरुण करुण बिम्ब!
वह निधूम भस्म रहित ज्वलन पिंड!
विकल विवर्तनों से
विरल प्रवर्तनों में
श्रमित नमित सा-
पश्चिम के व्योम में है आज निरवलम्ब सा.
आहुतियाँ विश्व की अजस्र से लुटाता रहा-
सतत सहस्त्र कर माला से-
तेज ओज बल जो व्दयता कदम्ब-सा.​

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Answered by sikhachanda12
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Answer:

अरुण करुण बिम्ब!

वह निधूम भस्म रहित ज्वलन पिंड!

विकल विवर्तनों से

विरल प्रवर्तनों में

श्रमित नमित सा-

पश्चिम के व्योम में है आज निरवलम्ब सा.

आहुतियाँ विश्व की अजस्र से लुटाता रहा-

सतत सहस्त्र कर माला से-

तेज ओज बल जो व्दयता कदम्ब-सा.

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