अर्णर्व: 12.00 र्वार्दिं पयणन्िं पिनि
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hye you are you the me she
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महानगरमध्ये - बड़े बड़े शहरों में
चलत् - चलने वाला
अनिशम् - दिन-रात
कालायसचक्रम् - लोहे का चक्र
मनः - मन को
शोषयत् - सुखते हुए, सुखाने वाला
तनुः - शरीर को
पेषयत् - पीसते हुए
भ्रमति - घूमता है / घूम रहा है
सदा - हमेशा
वक्रम् - टेढा
दुर्दान्तैः - भयानक
दशनैः - दातों से
अमुना - इस
स्यात् - हो जाए
न - नहीं
एव - बिल्कुल
जनग्रसनम् - लोगों का भक्षण
अन्वय
महानगरमध्ये अनिशं चलत् कालायसचक्रं मनः शोषयत् तनुः (च) पेषयत् सदा वक्रम् भ्रमति। अमुना (चक्रेण) दुर्दान्तैः दशनैः (च) जनग्रसनं न एव स्यात्
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