अर्थ बताए
देखि पवनसुत पति अनुकूला, हृदय हरष बीत सब शूला।
नाथ शैल पर कपिपति रहई, सो सुग्रीव दास तव अहई।
तेहि सन नाथ मयत्री कीजै, दीन जानि तेहि अभय करीज।
सो सीताकर खोज कराइहि, जहँतहँ मरकट कोटि पठाइहि ।
एहि विधि सकल कथा समुझाई, लिए दोऊ जन पीठि चढ़ाई।
जब सुग्रीव राम कहँ देखा, अतिशय जन्म धन्य करि लेखा।
सादर मिलेउ नाय पद माथा, भेटे अनुज सहित रघुनाथा।
कपिकर मन विचार एहि रीति, करिहैं विधि मोसन ये प्रीति ॥
तब हनुमंत उभय दिशि, कहि सब कथा बुझाई।
पावक साखी देइ करि, जोरि प्रीति दृढ़ाई।
Answers
Explanation:
दोहा - देखि पवनसुत पति अनुकूला, हृदय हरष बीत सब शूला।
देखि पवनसुत पति अनुकूला, हृदय हरष बीत सब शूला।नाथ शैल पर कपिपति रहई, सो सुग्रीव दास तव अहई।
अर्थ - स्वामी को अनुकूल (प्रसन्न) देखकर पवन कुमार हनुमान्जी के हृदय में हर्ष छा गया और उनके सब दुःख जाते रहे। (उन्होंने कहा-) हे नाथ! इस पर्वत पर वानरराज सुग्रीव रहते हैं, वह आपका दास है॥
दोहा - तेहि सन नाथ मयत्री कीजै, दीन जानि तेहि अभय करीज।
तेहि सन नाथ मयत्री कीजै, दीन जानि तेहि अभय करीज।सो सीताकर खोज कराइहि, जहँतहँ मरकट कोटि पठाइहि ।
अर्थ - हे नाथ! उससे मित्रता कीजिए और उसे दीन जानकर निर्भय कर दीजिए। वह सीताजी की खोज करवाएगा और जहाँ-तहाँ करोड़ों वानरों को भेजेगा॥
दोहा - एहि विधि सकल कथा समुझाई, लिए दोऊ जन पीठि चढ़ाई।
एहि विधि सकल कथा समुझाई, लिए दोऊ जन पीठि चढ़ाई।जब सुग्रीव राम कहँ देखा, अतिशय जन्म धन्य करि लेखा।
अर्थ - इस प्रकार सब बातें समझाकर हनुमान्जी ने (श्री राम-लक्ष्मण) दोनों जनों को पीठ पर चढ़ा लिया। जब सुग्रीव ने श्री रामचंद्रजी को देखा तो अपने जन्म को अत्यंत धन्य समझा॥
दोहा - सादर मिलेउ नाय पद माथा, भेटे अनुज सहित रघुनाथा।
सादर मिलेउ नाय पद माथा, भेटे अनुज सहित रघुनाथा।कपिकर मन विचार एहि रीति, करिहैं विधि मोसन ये प्रीति ॥
अर्थ - सुग्रीव चरणों में मस्तक नवाकर आदर सहित मिले। श्री रघुनाथजी भी छोटे भाई सहित उनसे गले लगकर मिले। सुग्रीव मन में इस प्रकार सोच रहे हैं कि हे विधाता! क्या ये मुझसे प्रीति करेंगे?॥
दोहा - तब हनुमंत उभय दिशि, कहि सब कथा बुझाई।
तब हनुमंत उभय दिशि, कहि सब कथा बुझाई।पावक साखी देइ करि, जोरि प्रीति दृढ़ाई।
अर्थ - तब हनुमान्जी ने दोनों ओर की सब कथा सुनाकर अग्नि को साक्षी देकर परस्पर दृढ़ करके प्रीति जोड़ दी (अर्थात् अग्नि की साक्षी देकर प्रतिज्ञापूर्वक उनकी मैत्री करवा दी)॥
।। धन्यवाद ।।