अर्थालंकार के बेध परिभाषा के साथ बताओ
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अर्थालंकार के 5 भेद होते हैं।
๑ उपमा
๑ रूपक
๑ उत्प्रेक्षा
๑ अतिश्योक्ति
๑ मानवीकरण
1- जिसमें दो वस्तुओं में भेद होते हुए भी धर्मगत समता दिखाई जाए।
2-जब गुण की अत्यंत समानता के कारण उपमेय को ही उपमान बता दिया जाए यानी उपमेय ओर उपमान में अभिन्नता दर्शायी जाए तब वह रूपक अलंकार कहलाता है।
3- जिसमें प्रस्तुत वस्तु में समानता के कारण अन्य वस्तु की कल्पना की जाती है।
4- जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन करने में लोक समाज की सीमा या मर्यादा टूट जाये उसे अतिश्योक्ति अलंकार कहते हैं।
5- जब जड़ पदार्थों और प्रकृति के अंग (नदी, पर्वत, पेड़, लताएँ, झरने, हवा, पत्थर, पक्षी) आदि पर मानवीय क्रियाओं का आरोप लगाया जाता है अर्थात् मनुष्य जैसा कार्य व्यवहार करता हुआ दिखाया जाता है तब वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।
Or
जहाँ जड़ वस्तुओं या प्रकृति पर मानवीय चेष्टाओं का आरोप किया जाता है, वहाँ मानवीकरण अलंकार होता है।
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