अर्थ लिखकर वाक्य बताओ :- कानभरना, दाल ना गलना, जिसकी लाठी उसी की थैस ।
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Explanation:
कारक किसे कहते हैं
क्रिया से सम्बन्ध रखने वाले वे सभी शब्द जो संज्ञा या सर्वनाम के रूप होते हैं उन्हें कारक कहते हैं।
अर्थात कारक संज्ञा या सर्वनाम शब्दो का वह रूप होता है जिसका सीधा सम्बन्ध क्रिया से होता है।
कहने का मतलब ये है की, जब किसी वाक्य मे संज्ञा या सर्वनाम शब्दों का अलग-अलग रूप मे प्रयोग होता है तब इन्ही अलग-अलग रूप को Karak कहते हैं।
कुछ उदाहरण – राम किताब पढ़ता है।
– संता बंता के लिए मिठाई लाया है।
– वह रोज सविता को हिंदी पढ़ाता है।
Case – कारक के भेद
आपने कारक के बारे मे ऊपर सब पढ़ लिया है। अब ज़रूरत है कारकों के भेद के बारें मे जानने की। मुख्य रूप से कारकों की संख्या 8 होती है।
इन सबकी पहचान अर्थात कारक के चिन्ह और विभक्ति क्या होते हैं। कारक चिन्ह को पहचानने के लिए नीचे निम्नलिखित से समझ सकते हैं।
कारकों के प्रकार – पहचान (चिन्ह)
कर्ता (प्रथमा विभक्ति) – ने
कर्म (द्वितीया) – को
करण (तृतीया) – से, के द्वारा
सम्प्रदान (चतुर्थी) – के लिए, को (सहायतार्थ देने मे)
आपदान (पंचमी) – से (अलगाव मे)
सम्बन्ध (षष्टी) – का, के, की, रा, रे, री
अधिकरण (सप्तमी) – मे, पर
संबोधन (अष्ठमी) – हे!, अरे!
Explanation:
1. चुगली करना - प्ररेणा वर्षा के पीठ पीछे किसी और के कान भरती रहती है