अर्थ परिवर्तन के कितने दिशाए है
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10 अर्थ-परिवर्तन : दिशाएं और कारण
अर्थ-परिवर्तन : दिशाएं और कारण
-डा. मीनाक्षी व्यास
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अर्थ के क्षेत्रा में आने वाले परिवर्तनों के पीछे मानवीय वृत्तियों का प्रभाव सबसे अधिक होता है। अर्थ परिवर्तन की दिशाओं को अर्थ की प्रवृत्तियां भी कहा जाता है। अर्थ परिवर्तन की प्रमुख दिशाएं या प्रवृत्तियां इस प्रकार हैं -
1. अर्थ-संकोच-जब किसी शब्द के विस्तरित अर्थ में पहले की तुलना में कमी आती है, तो उसे अर्थ संकोच कहते हैं। पहले की तुलना में अर्थ के संकुचित हो जाने से शब्द के पर्याय में कमी आती है। वह किसी व्यापक अर्थ की बजाए एक विशेष अर्थ का धोतक हो जाता है। उदाहरण के लिए- मृग का मूल अर्थ 'पशु है। इसी से मृगया का अर्थ 'शिकार हुआ और मृगराज का अर्थ-पशुओं का राजा है। लेकिन अब 'मृग का अर्थ संकुचित रह गया है और 'मृग 'हिरन का वाचक रह गया है। इसी प्रकार, पहले 'मंदिर का अर्थ कोर्इ भी भवन था, लेकिन अब केवल 'देवभवन रह गया। 'मंदिर शब्द के अर्थ में संकोच हो गया। इसी प्रकार 'सब्जी का मूल अर्थ हरियाली या कोर्इ भी हरी चीज था, लेकिन अब सिपर्फ 'तरकारी है।
2. अर्थ विस्तार-जब किसी शब्द का पहले का सीमित अर्थ विस्तार पाता है, तो उसे अर्थ-विस्तार कहते हैं। उदाहरण के लिए- 'पत्रा शब्द का अर्थ पहले 'पेड़ का पत्ता था, किंतु अब 'पत्रा का अर्थ बहुत व्यापक हो गया। 'पत्रा का अर्थ- चिटठी, समाचार पत्रा या कोर्इ भी पत्रा हो सकता है।
इसी प्रकार तेल का मूल अर्थ है-'तिल का तेल, लेकिन अब का अर्थ- सरसों, मूंगपफली का तेल और मिटटी का तेल भी हो गया है। अर्थ विस्तार के कारण इसके अर्थ के प्रयोग का क्षेत्रा बढ़ गया।
3. अर्थादेश-अर्थादेश का सामान्य अर्थ किसी शब्द को अर्थ का आदेश देना है। अर्थादेश के कारण किसी शब्द के सामान्य अर्थ को नया अर्थ प्राप्त होता है। जिसके कारण उसका मूल अर्थ कुछ होता है और प्रचलित नया अर्थ कुछ और हो जाता है। उदाहरण के लिए- 'मौन का मूल अर्थ है- 'मुनियों के समान व्यवहार करना। मुनि प्राय: चुप रहते थे। इसी आधर पर अब 'मौन का अर्थ बदल कर चुप रहना हो गया। 'ध्ूर्त का सामान्य अर्थ-'जुआरी है। किन्तु अब यह चालाक के अर्थ में प्रयुक्त होता है। पहले 'असुर का अर्थ 'देवता और 'सुर का अर्थ राक्षस था, लेकिन अब इसका नया अर्थ उलटा हो गया है।
कारण-अर्थ परिवर्तन के मुख्य कारण इस प्रकार हंै -
1. लाक्षणिक प्रयोग-लक्षणा शब्द शकित के प्रयोग से शब्द अपने मूल अर्थ या सामान्य अर्थ तक सीमित नहीं रहता, बलिक उसमें एक या अधिक लाक्षणिक अर्थों का भी समावेश हो जाता है-जिससे शब्द के अर्थ में परिवर्तन आता है। जैसे- 'वह वीर है कहने के स्थान पर कहा जाए कि- 'वह शेर है। 'वह केवल रटता है- कहने के स्थान पर कहा जाए कि- 'वह तोता है। 'बिलिडंग बहुत ऊँची है के साथ पर कहा जाए- 'बिलिडंग आकाश तक पहुंच रही है। यहाँ 'शेर का 'वीर, 'तोता का 'रटने वाला और 'आकाश तक पहुंचने का 'ऊँचा जैसे अर्थ इसी प्रकार के हैं।
2. सामाजिक कारण-समाज में दूसरों को संबोधित करते समय कभी-कभी कुछ शब्दों का किसी अन्य अर्थ में भी प्रयोग होता है। जैसे घर में बहन को 'सिस्टर कहना और अस्पताल की नर्स को 'सिस्टर कहने में अंतर है। इसी प्रकार चर्च के 'पफादर और 'मदर का अर्थ घर के माता-पिता से भिन्न है। सामाजिक कारणों से सामाजिक व्यकितयों के लिए इन पारिवारिक शब्दों का प्रयोग हुआ है।
3. मुहावरों का प्रयोग-मुहावरों में भी लाक्षणिक अर्थ जुड़ जाते हैं। मुहावरों में दो या अधिक शब्दों का प्रयोग होता है, जो लाक्षणिक अर्थों को अभिव्यक्त करते हैं। लक्षणा शकित का जब बार-बार प्रयोग होता है और वह सामान्य अर्थ का स्वरूप ले लेता है, तो प्रचलन के आधर पर उन शब्दों को मुहावरा कहा जाता है। अर्थ-परिवर्तन के बाद कोश में इसका नया प्रचलित अर्थ देना आवश्यक हो जाता है। जैसे- 'आँख खोलना ;सावधन करनाद्ध, 'आँख का तारा ;प्रिय व्यकितद्ध, 'आँख तरेरना ;डपटना या ललकारनाद्ध, आदि मिलते-जुलते शब्दों वाले मुहावरे अनेक अर्थों के लिए व्यवहार में लाए जाते हैं।
4. शिष्टाचार और सुश्राव्यता के कारण - शिष्टाचार आदि के लिए किसी अर्थ में नर्इ शब्दावली प्रचलित हो जाती है। जैसे- कैसे Ñपा की ? आदेश करिएऋ पधरिएऋ पफरमाइएऋ आदि। मृत्यु के लिए- बैकुंठ लाभ, स्मृति शेष, पंचत्व-प्रापित, स्वर्गवास आदि। या नम्रता प्रदर्शन के लिए किसी को- गरीब नवाज या पालनकर्ता कहकर संबोधित करना आदि। औपचारिकतावश प्रयुक्त इन शब्दों के अर्थ परिवर्तित होकर कुछ से कुछ हो गए हैं।
5. वातावरण में परिवर्तन-भौगोलिक परिवेश, ध्र्म, संस्Ñति, सामाजिक वातावरण में परिवर्तन से भी अर्थ परिवर्तन हो जाता है। जैसे- 'यजमान मूलत: 'यज्ञ करने वाले को कहते थे, बाद में यज्ञों का इतना प्रचलन नहीं रहा और हर उस व्यकित के लिए इस शब्द का प्रयोग होने लगा, जो ब्राह्राण से पूजा-पाठ कराए।
ऐसे ही अंग्रेजी 'कार्न का मूल अर्थ 'गल्ला है, पर अमेरिका का मुख्य गल्ला 'मक्का था, अत: वहाँ इसका अर्थ परिवर्तित हो गया। इसी प्रकार जब लोग अन्य-भाषा का प्रयोग करते हैं और दूसरी भाषा का शब्द उन्हें मालूम ना हो, तो वे गलत शब्दों का प्रयोग कर देते हैं और पिफर वह शब्द उसी परिवर्तित अर्थ में प्रचलित हो जाता है।
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nimnalikhit shabdon ke arth likhiye Koi char
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