अर्थ स्पष्ट कीजिए - यह तो पीर का मंजारा है निगाह चादर और चढ़ावे पर रखनी चाहिए
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इस पंक्ति में समाज में फैले भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी की मानसिकता पर व्यंग्य किया गया है। वृद्ध मुंशी जी अपने बेटे वंशीधर से पद को महत्व न देकर उस से होने वाली ऊपरी आमदनी पर ध्यान देने को कहते हैं। वर्तमान में लोगों की यही धारणा बनी हुई है।
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