अर्थशास्त्र भौतिक कल्याण का शास्त्र है समझाइए
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अर्थशास्त्र में भौतिक कल्याण संबंधी कार्यों का भी अध्ययन होता है- मार्शल ने अपनी परिभाषा का संबंध भौतिक कल्याण संबंधी कार्यों से जोड़ा है, जबकि आलोचकों का कहना है कि अर्थशास्त्र में अकेले भौतिक कल्याण संबंधी कार्यों का ही अध्ययन नहीं होता, वरन् कई अभौतिक कल्याण संबंधी कार्यों का भी अध्ययन होता है।
Explanation:
कल्याण संबंधी परिभाषाएं :
इस वर्ग की परिभाषाओं में धन की बजाय मानव कल्याण को ज्यादा महत्व दिया गया है। कल्याण संबंधी परिभाषा के समर्थक प्रोमार्शल हैं। प्रो.मार्शल के अनुसार, “धन मनुष्य के लिए है न कि मनुष्य धन के लिए। उनके अनुसार धन साध्य नहीं है, वरन् साधन मात्र है।
विशेषताएं -
1. आर्थिक मनुष्य की अपेक्षा साधारण मनुष्य का अध्ययन- मार्शल ने जिस मनुष्य की कल्पना की, वह सिर्फ स्वार्थ से प्रेरित होकर कार्य नहीं करता, वरन् साधारण मनुष्य होता है ।
2. कल्याण की प्रधानता- मार्शल ने अर्थशास्त्र की परिभाषा में कल्याण शब्द पर अधिक जोर दिया है।
3. धन की बजाय व्यक्ति को ज्यादा महत्व- इस परिभाषा में धन की बजाय व्यक्ति को ज्यादा महत्व दिया गया है।
आधुनिक परिभाषा या विकास संबंधी परिभाषा : आज अर्थशास्त्र की एक ऐसी परिभाषा की जरूरत है, जो कि सीमित साधनों के वितरण व आर्थिक विकास इन दोनों ही बातों पर प्रकाश डाल सके। ऐसी परिभाषा को विकास केन्द्रित परिभाषा कहा जा सकता है। प्रो.सैम्युलसन की परिभाषा इसी तरह की परिभाषा है। उनके अनुसार, अर्थशास्त्र इस बात का अध्ययन करता है कि व्यक्ति तथा समाज कई प्रयोगों में लाए जाने वाले उत्पादन के सीमित साधनों को एक समयावधि में विभिन्न वस्तुओं का उत्पादन करने एवं उनको समाज के विभिन्न व्यक्तियों तथा समूहों में उपभोग हेतु वर्तमान तथा भविष्य। के बीच बॉटने हेतु किस प्रकार चुनते हैं, ऐसा वे चाहे मुद्रा का प्रयोग करके करें या इसके बिना करें।” वास्तव में प्रो. सैम्युलसन ने अपनी परिभाषा में प्रो.रॉबिन्स की परिभाषा के दोषों को दूर करने का प्रयास किया है। उनकी परिभाषा निर्णय करने की समस्या को मान्यता देती है।