अर्थशास्त्र के अध्ययन की रीतियां तथा इसके गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
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Answer:
गुणक,की, धारणा,को,समझाइये
उत्तर:
अर्थशास्त्र के तरीके दो प्रकार के होते हैं।
व्याख्या:
इस प्रश्न में, हमें अर्थशास्त्र के तरीकों पर चर्चा करनी है। अर्थशास्त्र में दो विधियों का प्रयोग किया जाता है। ये विधियाँ निगमनात्मक विधियाँ हैं और दूसरी आगमनात्मक विधियाँ हैं।
अर्थशास्त्र की निगमन पद्धति का अर्थ है वह विधि जिसमें अर्थशास्त्री अंतिम निर्णय लेने के लिए मौलिक धारणा का उपयोग करते हैं
निगमनात्मक विधि के गुण:
1. सरल विधि:
निगमन पद्धति की पहली विशेषता यह है कि यह एक बहुत ही सरल विधि है क्योंकि यह मौलिक मान्यताओं का उपयोग करती है।
2. सार्वभौमिक प्रयोज्यता:
निगमन पद्धति का अगला लाभ यह है कि यह एक ऐसी विधि है जो पूरी दुनिया में लागू होती है।
निगमनात्मक विधि के दोष:
1. गलत धारणा:
इस पद्धति में, एक मौका है कि विश्लेषक गलत धारणा बना सकता है।
2. अपर्याप्त डेटा:
निगमन पद्धति का अगला दोष यह है कि इसमें उपलब्ध आंकड़े निष्कर्ष निकालने के लिए पर्याप्त नहीं हैं।
दूसरी ओर, आगमनात्मक विधि का अर्थ वह तरीका है जिसमें ऐतिहासिक तथ्यों और डेटा का उपयोग करके निर्णय लिया जाता है। इसलिए, यह आगमनात्मक और निगमनात्मक विधियों का अर्थ है।
आगमनात्मक विधि के गुण:
1. यथार्थवादी:
आगमनात्मक अर्थशास्त्र की पहली विशेषता यह है कि यह यथार्थवादी तथ्यों पर आधारित है क्योंकि इसमें ऐतिहासिक आंकड़ों का उपयोग किया जाता है।
2. सटीक:
अर्थशास्त्र की आगमनात्मक विधि को अर्थशास्त्र की अधिक सटीक विधि के रूप में जाना जाता है।
अर्थशास्त्र के दोष:
1. महंगा तरीका:
अर्थशास्त्र की आगमनात्मक विधि बहुत महंगी है क्योंकि इसमें डेटा एकत्र किया जाता है इसलिए यह महंगा हो जाता है।
2. डेटा की गलत व्याख्या:
अर्थशास्त्र का दूसरा नुकसान यह है कि इसमें डेटा को गलत रूप में दर्शाया जा सकता है।
इसलिए, ये आगमनात्मक विधि के गुण और दोष हैं।
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