) 'अर्ध राति गई कपि नहिं आयउ' काव्यांश में किस पात्र के
न आने का वर्णन है?
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'अर्ध राति गई कपि नहिं आयउ' इस काव्यांश में ‘हनुमान’ के ना आने का वर्णन है।
ये प्रसंग लंका कांड के समय का है, जब मेघनाद से वाणों से लक्ष्मण घायल होकर मूर्च्छावस्था में पड़े है, और हनुमान लक्ष्मण की जीवन रक्षा के लिये संजीवनी बूटी लाने गये हैं। राम हनुमाने के देर से आने के कारण व्याकुल हो रहे हैं। वे कहते हैं...
उहाँ राम लछिमनहि निहारी। बोले बचन मनुज अनुसारी॥
अर्ध राति गइ कपि नहिं आयउ। राम उठाइ अनुज उर लायउ॥1॥
अर्थात श्रीराम बेहोश लक्ष्मण को निहारते हुए साधारण मनुष्य की भाँति व्याकुल होकर विलाप करने लगते हैं और कहते हैं कि इतनी रात बीत गयी लेकिन हनुमान अभी तक नही आये। यह कहकर वह अपने हाथों मे लक्ष्मण को उठा लेते हैं।
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