Biology, asked by sohilkhan10503, 6 months ago


अर्ध सूत्री विभाजन एवं समसूत्री विभाजन में क्या अंतर

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Answered by lalitnit
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अर्ध सूत्री विभाजन एवं समसूत्री विभाजन में अंतर

समसूत्री अर्द्धसूत्री

सामान्य :

यह विभाजन कोशिका के सभी प्रकारों में पाया जाता है और जीवन पर्यन्त चलता रहता है |

विभाजन चक्र पूर्ण होने पर केन्द्रक में एकल विभाजन होता है |

समसूत्री के अंत में दो पुत्री कोशिकाओ का निर्माण होता है |

जनक कोशिकाओ के समान पुत्री कोशिकाओं में क्रोमोसोम की संख्या स्थिर बनी रहती है अर्थात पुत्री कोशिकाएं आनुवांशिक रूप से जनक कोशिकाओ के समान होती है |

समसूत्री अत्यधिक छोटी होती है |

समसूत्री , द्विगुणित अथवा अगुणित कोशिका में होती है |

यह सामान्यतया पौधों के जीवन चक्र में स्पोर अथवा गैमीट्स के निर्माण से जरा पहले जनन कोशिकाओं में पाया जाता है |

केन्द्रक में दो बार विभाजन होते है : प्रथम न्युनकारी जबकि द्वितीयक मध्यरेखीय , विभाजन चक्र के पूर्ण होने पर , जबकि क्रोमोसोम का विभाजन एनाफेज II में एक बार होता है |

अंत में चार पुत्री कोशिकाएं बनती है |

जनक कोशिका की तुलना में पुत्री कोशिकाओ में क्रोमोसोम की संख्या आधी रह जाती है अर्थात पुत्री कोशिकाएँ आनुवांशिक रूप से जनक कोशिका से भिन्न होती है |

अर्धसूत्री अधिक लम्बी होती है |

अर्धसूत्री सदैव द्विगुणित कोशिका (मियोसाइट) में होती है |

प्रोफेज :

प्रोफेज छोटी और बिना उप अवस्थाओ के होती है |

समजात क्रोमोसोम में युग्मन (सिनेप्सिस) नहीं होता है |

इसलिए क्रोसिंग ओवर और किएज्मा का निर्माण नहीं होता है |

क्रोमोसोम के मध्य सिनेप्टोनीमिल कॉम्पलेक्स का निर्माण नही होता है |

पूर्व प्रोफेज के दौरान क्रोमोसोम लम्बवत रूप से दो सिस्टर क्रोमेटिड्स में टूटते है अर्थात प्रोफेज क्रोमोसोम शुरुआत में ही डबल दिखाई देते है |

क्रोमोसोम खुलते नहीं है और प्रोफेज में ट्रांसक्रिप्शन और प्रोटीन संश्लेषण नहीं होता है |

प्रोफेज लम्बी और 5 भिन्न उप अवस्थाओ में विभाजित होती है , लेप्टोटिन , जाइगोटीन , पेकाईटिन , डिप्लोटिन और डाईकाइनेसिस |

प्रोफेज-I के जाइगोटिन उप अवस्था के दौरान समजात क्रोमोसोम में युग्मन होता है |

क्रोसिंग ओवर और किएज्मा का निर्माण होता है |

युग्मन समजात क्रोमोसोम के मध्य सिनेप्टोनीमिल कॉम्पलेक्स (ट्राईपरटाईट प्रोटीन फ्रेमवर्क) निर्माण होता है |

क्रोमोसोम लम्बवत टूटते नहीं है बल्कि एकल धागे के समान दिखाई देते है अर्थात प्रोफेज-I क्रोमोसोम शुरुआत में डबल दिखाई नहीं देते है |

क्रोमोसोम खुलते है और प्रोफेज-I की डिप्लोटीन उप अवस्था के दौरान ट्रांसक्रिप्शन और प्रोटीन संश्लेषण होता है |

मेटाफेज :

सभी क्रोमोसोम मेटाफेज में एकल प्लेट का निर्माण करते है |

मध्य रेखीय प्लेट पर क्रोमोसोम दो धागे के समान दिखाई देते है |

क्रोमोसोम मेटाफेज-I में , 2 समान्तर प्लेट्स और मेटाफेज-II में एक प्लेट का निर्माण करते है |

मध्य रेखीय प्लेट पर , मेटाफेज-I में क्रोमोसोम चार धागों के समान दिखाई देता है , जबकि मेटाफेज-II , समसूत्री के मेटाफेज के समान होती है |

एनाफेज :

क्रोमोसोम की सेंट्रोमियर में विभाजन होता है और प्रत्येक क्रोमोसोम के 2 क्रोमेटिड्स का पृथक्करण एनाफेज में होता है |

एनाफेज-I में सेंट्रोमियर का विभाजन नहीं होता है और एनाफेज-I में समजात क्रोमोसोम का पृथक्करण होता है | एनाफेज-II में , सेन्ट्रोमियर का विभाजन होता है इसलिए क्रोमोटिड्स का पृथककरण होता है |

टीलोफेज :

टिलोफेज सभी अवस्थाओ में होती है | पुत्री कोशिकाओं में क्रोमोसोम की संख्या जनक कोशिकाओं के समान होती है |

कुछ अवस्थाओं में टीलोफेज नहीं होती है |

टीलोफेज-I के अंत में क्रोमोसोम की संख्य आधी रह जाती है |

साइटोकाइनेसीस :

केरियोकाइनेसिस (केन्द्रक का विभाजन) सामान्यतया साइटोकाइनेसिस (भित्ति निर्माण) के बाद होती है |

समसूत्री वृद्धि , मरम्मत और घाव भरने के लिए उत्तरदायी होता है |

कभी कभी साइटोकाइनेसिस टिलोफेज-I और मियोसिस-I के बाद नहीं होती है | लेकिन मियोसिस-II और टिलोफेज-II और टीलोफेज-II के बाद सदैव होती है , 4 कोशिकाओं का निर्माण साथ साथ होता है |

अर्द्धसूत्री , क्रोमोसोम की संख्या पीढ़ी में स्थिर रखने के लिए , गैमिट्स अथवा स्पोर के निर्माण और क्रोसिंग ओवर के द्वारा उत्पन्न विभिन्नताओं के लिए उत्तरदायी है |

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