Chemistry, asked by Sukhkaran6357, 1 year ago

अर्धचालक क्या होते हैं? दो मुख्य अर्धचालकों का वर्णन कीजिए एवं उनकी चालकता-क्रियाविधि में विभेद कीजिए।

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Answered by shishir303
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अर्द्धचालक : जिन ठोसों की चालकता 10⁻⁶ से 10⁴ Ohm⁻¹ m⁻¹ के मध्यवर्ती परास में होती है,  वे ठोस अर्द्धचालक कहलाते हैं।

अर्द्धचालक में संयोजक बैंड तथा चालक बैंड के बीच अंतराल कम होता है। इस कारण कुछ इलेक्ट्रॉनिक चालक बैंड में जा सकते हैं और अल्प चालकता दिखा सकते हैं। जैसे-जैसे ताप बढ़ता जाता है, अर्द्ध चालकों में विद्युत चालकता भी बढ़ती जाती है क्योंकि इस वजह से ज्यादा संख्या में इलेक्ट्रॉन चालक बैंड में जा सकते हैं। सिलिकॉन तथा जर्मेनियम जैसे पदार्थ किस तरह का व्यवहार प्रदर्शित करते हैं और इन्हें नेज अर्धचालक कहा जाता है। इनमें उचित अशुद्धि को ठीक मात्रा में मिलाने पर इनकी विद्युत चालकता बढ़ती जाती है।

दो मुख्य अर्द्धचालक व उनकी चालकता एवं क्रियाविधि में विभेद इस प्रकार है...

n-प्रकार के अर्द्धचालक — सिलिकॉन तथा जर्मेनियम आवर्त सारणी में वर्ग 14 से संबंधित होते हैं और दोनों में चार संयोजक इलेक्ट्रॉन होते हैं। क्रिस्टलों में इनका हर प्रमाणु अपने निकटवर्ती परमाणुओं के साथ चार सह संयोजक बंध बनाता है। जब वर्ग 15 के तत्व जैसे ही या संयोजक जैसे P या As जिनमें पाँच संयोजक इलेक्ट्रॉन होते हैं, को अप मिश्रित किया जाता है तो यह सिलीकॉन अथवा जर्मेनियम के क्रिस्टल में कुछ जालक स्थलों में आ जाते हैं या P या As के पांच में से चार स्थानों का उपयोग चार सन्निकट सिलिकॉन परमाणुओं के साथ चार सह संयोजक बंध बनाने के लिए होता है। पांचवा अतिरिक्त इलेक्ट्रॉन विस्थानित हो जाता है और यह विस्थानित इलेक्ट्रॉन अपमिश्रित सिलिकॉन या जर्मेनियम की चालकता में बढ़ोतरी कर देता है। यहां चालकता में बढ़ोतरी ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन की वजह से होती है इसलिए इलेक्ट्रॉन-धनी से अपमिश्रित इलेक्ट्रॉन को n-प्रकार का अर्द्धचालक कहा जाता है।

p-प्रकार के अर्द्धचालक — सिलिकॉन अथवा जर्मेनियम को वर्ग 13 की तत्वों जैसे B, Al या Ga के साथ अपमिश्रित किया जा सकता है, इनमें केवल 3 संयोजक लक्षण होते हैं। जहां चौथा इलेक्ट्रॉन नहीं होता है, उस स्थान को इलेक्ट्रॉन रिक्ति या इलेक्ट्रॉन छिद्र कहा जाता है। सन्निकट परमाणु से कोई भी इलेक्ट्रॉन आकर इलेक्ट्रान छिद्र को भर सकता है परंतु यदि ऐसा होता है तो वह इलेक्ट्रॉन अपने मूल स्थान पर एक इलेक्ट्रॉन छोड़ जाता है और ऐसा लगता है कि इलेक्ट्रॉन छिद्र इलेक्ट्रान द्वारा भरा गया है, वो उसके विपरीत दिशा में चल रहा है। विद्युत क्षेत्र के प्रभाव में इलेक्ट्रॉन छिद्रों से धन आवेशित प्लेट की ओर चलने लगते हैं और ऐसा लगता है जैसे इलेक्ट्रॉन धन आवेशित है और ऋण आवेशित प्लेट की ओर चल रहा है इस तरह के चालकों को p-प्रकार के अर्द्धचालक कहते हैं

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पाठ ‘ठोस अवस्था’ (रसायन विज्ञान - भाग 1, कक्षा - 12) के कुछ अन्य प्रश्नों के लिये नीचे दिये लिंक्स पर जायें...  

कॉपर fcc जालक रूप में क्रिस्टलीकृत होता है जिसके कोर की लंबाई cm है। यह दर्शाइए कि गणना किए गए घनत्व के मान तथा मापे गए घनत्व में समानता है।  

https://brainly.in/question/15470338

विश्लेषण द्वारा ज्ञात हुआ कि निकैल ऑक्साइड का सूत्र   है। निकैल आयनों का कितना अंश   और   के रूप में विद्यमान है?

https://brainly.in/question/15470305

Answered by Anonymous
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Explanation:

अर्धचालक (semiconductor) उन पदार्थों को कहते हैं जिनकी विद्युत चालकता चालकों (जैसे ताँबा) से कम किन्तु अचालकों (जैसे काच) से अधिक होती है। (आपेक्षिक प्रतिरोध प्रायः 10-5 से 108 ओम-मीटर के बीच) सिलिकॉन, जर्मेनियम, कैडमियम सल्फाइड, गैलियम आर्सेनाइड इत्यादि अर्धचालक पदार्थों के कुछ उदाहरण हैं।

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