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अपनी चिरपरिचित मुस्कुराहट, सौम्यता, शब्दों की विरासत और कई खट्टी-मीठी यादों को पीछे छोड़ कर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी अनंत यात्रा पर निकल गए.
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी. (फोटो: पीटीआई)
नई दिल्ली: ठन गई! मौत से ठन गई! बरसों पहले इन शब्दों को कागज पर दर्ज कर चुके अटल बिहारी वाजपेयी की सचमुच मौत से ठन गई और वह अनंत यात्रा पर चले गए. वाजपेयी ऐसे करिश्माई राजनेता थे जिन्होंने राजनीति में तो बुलंदियों को छुआ ही, साथ ही अपने ‘कवि मन’ से उन्होंने साथी नेताओं और आम जनता दोनों के दिलों पर राज किया. दिवंगत नेता वाजपेयी का कवि मन अक्सर उनकी कविताओं के ज़रिये प्रदर्शित होता था.
वाजपेयी जब संसद को संबोधित करते थे तो न सिर्फ़ उनके सहयोगी दल बल्कि विपक्षी पार्टियों के नेता भी उनकी वाकपटुता की प्रशंसा से ख़ुद को रोक नहीं पाते थे. जब वह रैलियों को संबोधित करते थे तो उन्हें देखने-सुनने आई भीड़ की तालियों की गड़गड़ाहट आसमान में गुंजायमान होती थी.
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