Political Science, asked by khadeejazafar5051, 1 year ago

अरस्तू के सुधारात्मक न्याय में राज्य का क्या उत्तरदायित्व है?

Answers

Answered by Anonymous
0

Answer:

अरस्तू के सुधारात्मक न्याय के खाते में निजी कानून संबंध के रूप का वर्णन है। सुधारात्मक न्याय गलत व्यवहार करता है, और संसाधनों का हस्तांतरण जो इसे समाप्त कर देता है, गतिविधि और निष्क्रियता के एक एकल गठजोड़ के रूप में जहां अभिनेता और पीड़ित एक दूसरे के संबंध में परिभाषित किए जाते हैं।

________

Answered by itsmepapakigudiya
0

Answer:

न्याय के अर्थ का निर्णय करने का प्रयत्न सबसे पहले यूनानियों और रोमनों ने किया (यानी जहाँ तक पाश्चात्य राजनीतिक चिंतन का संबंध है)। यूनानी दार्शनिक अफलातून (प्लेटो) ने न्याय की परिभाषा करते हुए उसे सद्गुण कहा, जिसके साथ संयम, बुद्धिमानी और साहस का संयोग होना चाहिए। उनका कहना था कि न्याय अपने कर्त्तव्य पर आरूढ़ रहने, अर्थात् समाज में जिसका जो स्थान है उसका भली-भाँति निर्वाह करने में निहीत है (यहाँ हमें प्राचीन भारत के वर्ण-धर्म का स्मरण हो आता है)। उनका मत था कि न्याय वह सद्गुण है जो अन्य सभी सद्गुणों के बीच सामंजस्य स्थापित करता है। उनके अनुसार, न्याय वह सद्गुण है जो किसी भी समाज में संतुलन लाता है या उसका परिरक्षण करता है। उनके शिष्य अरस्तू (एरिस्टोटल) ने न्याय के अर्थ में संशोधन करते हुए कहा कि न्याय का अभिप्राय आवश्यक रूप से एक खास स्तर की समानता है। यह समानता (1) व्यवहार की समानता तथा (2) आनुपातिकता या तुल्यता पर आधारित हो सकती है। उन्होंने आगे कहा कि व्यवहार की समानता से ‘योग्यतानुसारी (कम्यूटेटिव) न्याय’ उत्पन्न होता है और आनुपातिकता से ‘वितरणात्मक न्याय’ प्रतिफलित होता है। इसमें न्यायालयों तथा न्यायाधीशों का काम योग्यतानुसार न्याय का वितरण होता है और विधायिका का काम वितरणात्मक न्याय का वितरण होता है। ...

hope it helps you

Similar questions