अरस्तू के दासता सम्बन्धी विचारों का मूल्यांकन कीजिये।
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अरस्तू ने दासता को एक प्राकृतिक संस्था माना है। प्राचीन काल में यूनान में दास प्रथा का सर्वत्र प्रचार था। यह कहना गलत नहीं होगा कि यूनानी सभ्यता का आधार ही दास प्रथा थी। अत: अरस्तू जैसा उच्च कोटि का दार्शनिक्र भी अपने समय की मान्यताओं व परिस्थितियों से बच नहीं सकता था और उसने दास प्रथा को उचित ठहराने के लिए अपनी सम्पूर्ण दार्शनिक योग्यता लगा दी।
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