अरविंद घोष - पर निबंध लिखें
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अरविन्द घोष पर निबंध 1 (100 शब्द)
श्री अरविन्द घोष का जन्म ब्रिटिश भारत (अब कोलकाता, पश्चिम बंगाल) के बंगाल प्रेसीडेंसी के कलकत्ता में 15 अगस्त 1872 को हुआ था। कृष्णाधन घोष (पिता) और स्वर्णलता देवी (माता) के घर अरविन्द अक्रोद्य घोष के रुप में इनका जन्म हुआ था। श्री अरविन्द के दो बड़े भाई (बेनॉयभूषण और मनमोहन) तथा दो छोटे बहन-भाई (सरोजिनी और बरिन्द्रकुमार) थे। बचपन से ही इनके बात-व्यवहार की भाषा अंग्रेजी थी हालांकि अपने मुलाज़िमों से बात करने के लिये इन्होंने हिन्दी भी सीखी। वो एक बंगाली परिवार से थे जबकि इनके पिता अपने परिवार के लिये हमेशा अंग्रेजी संस्कृति में भरोसा रखते थे। श्री अरविन्द के भाषा कौशल को सुधारने के लिये उनके बड़े भाईयों के साथ दार्जिलिंग में अंग्रेजी बोलने वाले लौरेटो हाउस बोर्डिंग स्कूल में उन्हें भेजा गया था।
अरविन्द घोष पर निबंध 2 (150 शब्द)
श्री अरविन्द घोष एक भारतीय राष्ट्रवादी, योगी, गुरु, दर्शनशास्त्री, लघु कथा लेखक, निबंधकार, कवि, अनुवादक, आलोचक, नाट्य-लेखक, पत्रकार, इतिहासकार और आत्मकथाकार थे। वो एक महान आधुनिक दर्शनशास्त्री और एक सफल लेखक थे जिसने कविताओं और गद्य के अपने विभिन्न लेखनों में ईश्वर, प्रकृति, मानवजाति और ब्रह्माण्ड पर अपने विचार दिये हैं। वो हमेशा एकता में भरोसा करते थे जिसे हम ज्यादातर उनके सभी लेखनों में देखते हैं। उनका जन्म ब्रिटिश भारत (वर्तमान भारत, पश्चिम बंगाल, कोलकाता) के बंगाल प्रेसीडेंसी के कलकत्ता में 15 अगस्त 1872 को अरविन्द अक्रोद्य घोष के रुप में हुआ। उनके अभिभावकों का नाम कृष्णाधन घोष और स्वर्णलता देवी था।
वो अपने माता-पिता के 5 बच्चों में तीसरे बच्चे थे और बहुत ही संपन्न परिवार में पैदा हुए थे। पश्चिमी जीवन-शैली में अपने पिता की इच्छा के कारण ये और इनके भाईयों ने बचपन से ही अंग्रेजी बोलने के कौशल सहित पश्चिमी जीवन शैली को अच्छे से सीखा। बचपन में ही इन्हें एक अंग्रेजी आया दी गयी थी और दार्जिलिंग में कान्वेंट स्कूल से इन्होंने अपनी पहली औपचारिक शिक्षा ग्रहण की।
अरविन्द घोष पर निबंध 3 (200 शब्द)
15 अगस्त 1872 को एक बंगाली परिवार में कलकत्ता में श्री अरविन्द अक्रोद्य घोष का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम कृष्णधन घोष (बंगाल में रंगापुर के सहायक सर्जन) और माँ का नाम स्वर्णलता देवी था। वो एक अच्छे और समृद्ध बंगाली परिवार में जन्में थे जहां उन्हें बचपन से ही सभी उच्च श्रेणी की सुविधाएँ उपलब्ध करायी गयी थी। उनके परिवार के आस-पास का वातावरण पूरी तरह से पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित था। उनके दो बड़े भाई बेनॉयभूषण और मनमोहन थे तथा दो छोटे बहन-भाईयों में बहन सरोजिनी और भाई बरिन्द्राकुमार थे। युवा अरविन्द बहुत प्रतिभावान थे तथा अंग्रेजी बोलना बहुत अच्छे से जानते थे हालांकि अपने नौकरों से बात करने के लिये उन्होंने हिन्दी पर भी अपनी मजबूत पकड़ बनायी थी।
श्री अरविन्द एक भारतीय राष्ट्रवादी, महान दर्शनशास्त्री, गुरु, योगी और एक कवि थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लिया और एक प्रभावशाली नेता बने और बाद में एक आध्यात्मिक सुधारक बने। देश में मानव प्रगति और आध्यात्मिक विकास की ओर उनका दृष्टिकोण और विचार था। इंग्लैंड के कैंब्रिज़ विश्वद्यालय के किंग्स कॉलेज से भारतीय सिविल सेवा के लिये उन्होंने अपनी शिक्षा ली। भारत में ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ कुछ लेख लिखने की वजह से श्री अरविन्द कई बार जेल गये। बाद मे इन्होंने राजनीति छोड़ दी और आध्यात्मिक कार्यों के लिये पाँडीचेरी चले गये।
अरविन्द घोष पर निबंध 4 (250 शब्द)
श्री अरविन्द घोष का जन्म कलकत्ता में 15 अगस्त 1872 को हुआ था। उनके पिता कृष्णधन घोष उनकी शिक्षा को लेकर बहुत उत्साहित थे और उन्होंने अरविन्द को उच्च शिक्षा की पढ़ाई के लिये लंदन भेजा। उनकी माँ का नाम स्वर्णलता देवी था। अरबिंदों पढ़ाई में बहुत अच्छे विद्यार्थी थे और अंग्रेजी बोलना भी अच्छे से जानते थे। एक बार वो भारतीय सिविल सेवा (लंदन में होता था) की परीक्षा में बैठे और पास हो गये हालांकि चयनित नहीं हो सके क्योंकि उन्होंने घुड़सवारी में परीक्षा देने से मना कर दिया जो कि एक अनिवार्य परीक्षा थी। ये कोई मायने नहीं रखता था कि वो घुड़सवारी में इचिछुक नहीं थे बल्कि वो ब्रिटिश शासन के तहत काम नहीं करना चाहते थे। उस परीक्षा में वो केवल अपने पिता की संतुष्टि के लिये बैठे थे क्योंकि उनके पिता उनको सिविल सेवा अधिकारी बनाना चाहते थे।