"arre jaisee niyat hoti hai alhaa bhi vaisi hi barkat deta hai" - aashay spast karo chapter radas ke pad
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मनुष्य के विचार एवं उसकी सोच से ही उसके कार्य परिलक्षित होते हैं यानी कि वह जैसा सोचता है वह वैसा ही बन जाता है और उसके साथ उसी प्रकार का होता है
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