article on India - A country of festivals
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आज का युग विज्ञान का युग है । बीसवीं शताब्दी में मनुष्य का चाँद पर पदार्पण मानव-जाति के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है । जीवन के लगभग सभी क्षेत्रों में नित नए अनुसंधान एवं प्रयोगों के माध्यम से मनुष्य बहुआयामी विकास की ओर अग्रसर हुआ है ।
इसके बावजूद मनुष्य का सर्वांगीण विकास तब तक संभव नहीं है जब तक कि बौद्धिक विकास के साथ-साथ उसमें भावनात्मक विकास न हो । हमारे देश के त्योहार, हमारे पर्व, मनुष्य के भावनात्मक विकास में सदैव सहभागी रहे हैं ।
ये त्योहार करुणा, दया, सरलता, आतिथ्य सत्कार, पास्परिक प्रेम एवं सद्भावना तथा परोपकार जैसे नैतिक गुणों का मनुष्य में विकास करते हैं । इन्हीं नैतिक मूल्यों की अवधारणा से मनुष्य को चारित्रिक अथवा भावनात्मक बल प्रदान होता है ।
नैतिक मूल्यों के साथ-साथ त्योहारों को मनाने से जो खुशियाँ मिलती हैं, आज के तनावग्रस्त माहौल में उसका महत्व भी कम नहीं है । भारत को यदि त्योहारों का देश कहें तो अतिशयोक्ति नहीं होगी । इस देश में विभिन्न धर्मों एवं संप्रदायों के लोग निवास करते हैं तथा किसी न किसी धर्म या संप्रदाय से संबद्ध त्योहारों का क्रम यहाँ चलता ही रहता है ।
कभी हिंदुओं की दीवाली होती है तो कभी सिक्खों की वैशाखी । मुसलमान कभी ईद की खुशियाँ मनाते हैं तो कभी ईसाई क्रिसमस के अवसर पर चर्च में प्रार्थना करते दिखाई देते हैं । ये त्योहार मनुष्य की नीरस दिनचर्या में सुख का अरुण प्रभात लेकर आते हैं ।
भारत के त्योहार देश की संस्कृति की महानता को उजागर करते हैं । ये उत्सव हमारा गौरव हैं । विभिन्न जातियों, भाषाओं, प्रांतों व भिन्न-भिन्न संप्रदायों के विभिन्न रंगों को एकाकार करने में हमारे त्योहार सदैव ही प्रमुख भूमिका निभते हैं । विभिन्नताओं के इस देश में होने वाले त्योहारों का स्वरूप भी भिन्न है । कुछ त्योहारों का स्वरूप इतना व्यापक है कि इसमें देश के अधिकांश लोग भाग लेते हैं वहीं कुछ त्योहार क्षेत्रीय होते हैं जो किसी क्षेत्र विशेष तक ही सीमित होते हैं, जैसे – बिहार का छठ, पंजाब की बैशाखी या तमिलनाडु का पोंगल ।
भारतीय त्योहार प्राय: ऋतु चक्र के अनुसार आयोजित किए जाते हैं । सभी त्योहार जनमानस के लिए खुशियाँ, उल्लास व उत्साह प्रदान करते हैं तथा ये त्योहार स्वयं में एक विशेष संदेश भी समाहित किए होते हैं । जैसे रक्षाबंधन का त्योहार भाई-बहन के प्रेम की प्रगाढ़ता को दर्शाता है और आजीवन बहन की रक्षा के लिए भाई वचन लेता है ।
हर्षोंल्लास से परिपूरित ‘विजयादशमी’ का त्योहार हमारी गौरवशाली पौराणिक गाथा को दोहराता है जिसमें भगवान राम ने राक्षसराज रावण का वध कर धरती पर से पाप का नाश करने की चेष्टा की थी । यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की, असत्य पर सत्य की विजय का प्रतीक है । इसी प्रकार हर तरफ जगमगाते दीयों से रौशन त्योहार ‘दीपावली’ हर एक के दिलों में उत्साह और खुशी लाता है जिसमें दुश्मन भी अपने पुराने झगड़े भूलकर नया मैत्रीपूर्ण जीवन प्रारंभ करते हैं ।
इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय स्तर पर अल्पसंख्यक वर्ग के भी अनेक त्योहार हैं जैसे मुस्लिम भाइयों की ईद, मुहर्रम तथा सिक्खों का बैशाखी; इसी प्रकार ईसाइयों का प्रसिद्ध क्रिसमस का त्योहार । ये सभी त्योहार लोगों में खुशियाँ, उत्साह व मन में नवीनता लाते हैं जो मनुष्य की नीरसता को तो दूर करते ही हैं साथ ही साथ लोगों को नैतिक मूल्यों की अवधारणा हेतु भी प्रेरित करते हैं ।
यदि हम अपने कुछ राष्ट्रीय त्योहारों की चर्चा करें तो ये भी धार्मिक त्योहारों से कम महत्व के नहीं हैं । स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस, बाल दिवस, गाँधी जयंती, शिक्षक दिवस आदि राष्ट्रीय त्योहार देश और समाज के प्रति हमारे कर्तव्यों का स्मरण कराते हैं ।
इन त्योहारों के आगमन पर हमें अपने देश के इतिहास, उसकी परंपराओं तथा वर्तमान में हम किस ओर जा रहे हैं, इसका निरीक्षण करने का एक अवसर प्राप्त होता है । विभिन्न अवसरों पर हम अपने महापुरुषों का स्मरण करते हैं तथा उनके आदर्शों का पालन करने की चेष्टा करते हैं
इन धार्मिक व सामाजिक त्योहारों के अतिरिक्त स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस एवं गाँधी जयंती हमारे राष्ट्रीय पर्व हैं जिन्हें हम हर वर्ष पूरे धूमधाम से मनाते हैं । ये राष्ट्रीय पर्व हमें उन अमर शहीदों की याद दिलाते हैं जिन्होंने देश की आजादी के लिए हँसते-हँसते अपने प्राण न्यौछावर कर दिए । इन त्योहारों पर हर भारतवासी यह संकल्प लेता है कि वह देश की एकता, गौरव व इसकी अखंडता बनाए रखने हेतु सदैव तत्पर रहेगा ।
हमारे भारतीय त्योहारों का स्वरूप भिन्न है । इन्हें मनाने की विधियाँ अलग हैं परतु इन सभी त्योहारों का मूल एक है । यही हमारी भारतीय संस्कृति का भी मूल है जो समस्त भारतवासियों को एक सूत्र में पिरोए रखता है । सभी त्योहार लोगों को उत्साह, खुशी व भाई-चारे का संदेश देते हैं । वर्तमान में हमारे क्षेत्रीय त्योहार भी जब राष्ट्रीय स्तर पर मनाए जाने लगे हैं तो इन त्योहारों का महत्व और भी बढ़ जाता है ।
देश के त्योहार सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक एवं आध्यात्मिक हर दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं । इन त्योहारों की शुद्धता, पवित्रता व मूल भावना को बनाए रखने का दायित्व हम सभी पर है । ये त्योहार हमारी भारतीय संस्कृति का गौरव हैं और हमारी पहचान भी । इनके महत्व के कम होने का सीधा तात्पर्य है हमारी स्वयं की पहचान का खोना जिसे एक जिम्मेदार नागरिक कभी स्वीकार नहीं कर सकता है
I n today's world, there is so much of monotony and pressure in everyone's life that every once in a while we all want to escape from it, and what better way to do so other than celebrating festivals. In fact our happiest childhood memories are more often than not, of celebrating festivals with family and friends. Who doesn't enjoy giving and receiving gifts, partying, enjoying and celebrating with the loved ones?!
Among all the countries of the world, India is the one with a large geographical area, supporting people from all communities and religions of the world. We celebrate festivals of each religion with equal zeal and vigor, and this also proves each time how our unity lies in diversity.
India's rich heritage has been built over the centuries and this has led to a huge variety in Indian life, soul and festivals. There is a great diversity in the Indian regions and these diversities have brought about an assortment of rituals and festivals too.
Each religion follows its own calendar for deciding the day on which the festival is to be celebrated. For example, the Hindu festivals are determined by the lunar Hindu calendar. Thus the dates of the Hindu festivals do not match with the solar Georgian calendar.
Since India has a large Hindu population, it is natural that most of its festivals are Hindu festivals. Since the Hindus personify nature and human feelings, they have about 3.3 millions gods and goddess, and thus a number of festivals to worship them.We often see that some festivals are more popular in a particular region. Chhat, for instance,is a festival chiefly celebrated in Bihar whereas Diwali is celebrated all over India.
The festivals which are celebrated throughout India are called national festivals, and the whole of India comes together to celebrate it. Diwali is the festival of Hindus but you won't find a single Muslim or a Christian child who stays at home when all his friends and neighbors are busting crackers at the local park!
Again do you think that on Christmas Eve, when all the churches and restaurants are dressed up for a long party, the people belonging to the other communities stay back at home and gaze at the festivities going on? No, not at all! They are out there partying as hard as, if not harder than their Christian friends! This is where the strength of India lies – in its diversity lies it unity.