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मलेरिया मच्छरों के काटने से होता है। मलेरिया होने पर आदमी को ठंड लगती है। शरीर में कंपकंपी
होती है और तापमान बढ़ जाता है। इसे हम बुखार कहते हैं। मच्छरों के काटने से 'डेंगू' भी हो सकता
है। कीटाणुओं से बचने के लिए हमें पानी ढक कर रखना चाहिए। नालियों तथा तालाबों में मिट्टी का
तेल छिड़कना चाहिए। रोगी को तुरंत डॉक्टर के पास ले जाना चाहिए। मलेरिया जाँचने के लिए ब्लड
टेस्ट करवाया जाता है। इस बीमारी का इलाज समय पर न होने से यह बीमारी गंभीर रूप ले सकती
है। 25 अप्रैल को 'विश्व मलेरिया दिवस' मनाया जाता है, जिसका लक्ष्य है-लोगों को मलेरिया के
लिए जागरूक करना।
दिए गए अनुच्छेद को एक शीर्षक दीजिए तथा दो या तीन पंक्तियों में सार लिखिए। (Give a title
to the passage and summarise it in 2-3 lines.) )
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Answers
Answer:
प्लाज्मोडियम' नाम के पैरासाइट से होने वाली बीमारी है मलेरिया। यह मादा 'एनोफिलीज' मच्छर के काटने से होता है जो गंदे पानी में पनपते हैं। ये मच्छर आमतौर पर सूर्यास्त के बाद काटते हैं। मलेरिया के मच्छर रात में ही ज्यादा काटते हैं। कुछ केसेज में मलेरिया अंदर ही अंदर बढ़ता रहता है। ऐसे में बुखार ज्यादा ना होकर कमजोरी होने लगती है और एक स्टेज पर पेशंट को हीमोग्लोबिन की कमी हो जाती है, जिससे वह अनीमिक हो जाता है।आमतौर पर देखने को मिलता है कि जुलाई से नवंबर के बीच मलेरिया ज्यादा फैलता है। मलेरिया में हर व्यक्ति के बॉडी के रिएक्ट करने का तरीका अलग-अलग होता है और यह काफी कुछ इंफेक्शन के डोज पर भी डिपेंड करता है। कुछ लोग ऐसे भी हैं जिनको मलेरिया के मच्छर के काटने का कोई फर्क ही नहीं पड़ता। जाहिर है कि जब आप पहले से थोड़े वीक हों, तो आप थोड़े से इंफेक्शन से भी ज्यादा प्रॉब्लम में आ सकते हैं।