Hindi, asked by kumar78santu, 16 days ago

aryabaat pat ka Hindi mei saransh batai class 8 Sanskrit ​

Answers

Answered by venom0136
1

Explanation:

aryabaat pat ka Hindi mei saransh batai class 8 Sanskrit

ज्ञानविज्ञान की सुदीर्घ परम्परा भारतवर्ष की अमूल्य निधि है। भारतीय मनीषियों, जिन्हें ‘ऋषि’ की आख्या प्राप्त थी, ने इस परम्परा को पुष्ट किया है। ऋषियों ने ज्ञानविज्ञान की सभी विधाओं में उल्लेखनीय कार्य किया है। दशमलव पद्धति आदि के प्रारम्भिक प्रयोक्ता आर्यभट ने गणित को नई दिशा दी है। वस्तुतः गणित को विज्ञान बनाने वाले तथा गणितीय गणनापद्धति के द्वारा आकाशीय पिण्डों की गति का प्रवर्तन करने वाले ये प्रथम आचार्य थे। उनके असाधारण वैदुष्य का उल्लेख प्रस्तुत पाठ में इस प्रकार रेखांकित किया गया है|

आर्यभट का जन्म 476 ई. में हआ। उन्होंने ‘आर्यभटीय’ नामक ग्रन्थ की रचना की। उस समय उनकी अवस्था तेईस वर्ष की थी। आर्यभट ने पाटलिपुत्र के पास एक वेधशाला स्थापित की थी। इससे सिद्ध होता है कि पाटलिपुत्र उनकी कर्मभूमि रहा है।

आर्यभट का जन्म 476 ई. में हआ। उन्होंने ‘आर्यभटीय’ नामक ग्रन्थ की रचना की। उस समय उनकी अवस्था तेईस वर्ष की थी। आर्यभट ने पाटलिपुत्र के पास एक वेधशाला स्थापित की थी। इससे सिद्ध होता है कि पाटलिपुत्र उनकी कर्मभूमि रहा है।आर्यभट से पूर्व विद्वानों की यह मान्यता थी कि सूर्य भ्रमण करता है तथा पृथ्वी स्थिर है। आर्यभट ने अपने अध्ययन के आधार पर यह सिद्धान्त दिया कि पृथ्वी ही भ्रमण करती है तथा सूर्य स्थिर है। प्रारम्भ में समाज के ठेकेदारों ने आर्यभट के इस सिद्धान्त का विरोध किया, परन्तु आधुनिक विद्वानों ने आर्यभट के सिद्धान्त का अत्यधिक आदर किया। वस्तुतः आर्यभट अपने क्षेत्र के शिखर पुरुष थे।

℘Ɩɛąʂɛ ɱąཞƙ ɱɛ ąʂ ą ცཞąıŋƖıʂɬ ąŋʂῳɛཞ

Attachments:
Similar questions