Hindi, asked by nikitapal7907, 10 months ago

अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति !



नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत ? In hindi meaning

Answers

Answered by krishnadubey
13
हड्डियो ओर चमडें से मीली इस शरीर से एसा प्रेम
अगर ऐसा प्रेम भगवान से होता तो फिर चिंता ओर डर नही होता
Answered by Anonymous
20

“अस्थि चर्म मय देह यह, ता सों ऐसी प्रीति !

नेकु जो होती राम से, तो काहे भव-भीत ?”

संदर्भ :- प्रस्तुत पंक्तियां तुलसीदास जी की

पत्नी , रत्नावली द्वारा कथित है।

व्याख्या :- इन पंक्तियों के सहारे , रत्नावली

तुलसीदास जी को राम की भक्ति करने हेतु

प्रेरित कर रही है।

रत्नावली कहती है कि , मेरा शरीर तो अस्थि

अर्थात् हड्डियों और चर्म ( अर्थात् मांस , खाल )

से बना हुआ है । फिर इससे ऐसा क्या प्रीति

( प्रेम ) ? इसका तनिक प्रेम भी अगर प्रभु राम

जी से करते तो , आपका पूरा जीवन का

उद्धार हो जाता । तथा प्रभु की अपार कृपा

होती।

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