Hindi, asked by deeparamchahar2344, 6 months ago

असाध्य वीणा कविता के भाव और कला पक्ष की विवेचना कीजिए​

Answers

Answered by Anonymous
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Explanation:

असाध्य वीणा वर्ण्य विषय :

परम सत्ता असीम और विराट है जबकि व्यक्ति सत्ता सीमित है। उस परम सत्ता से मिल जाने , उसे जान लेने की आकांक्षा हमेशा व्यक्ति सत्ता में रही है। अज्ञेय के यहाँ इस लंबी कविता में प्रियंवद(व्यक्ति सत्ता) एक लंबी साधना प्रक्रिया से गुजरता है। वह अपने आत्म(I) को उस परम सत्ता(thou) में विलीन कर देता है।

Answered by abdulraziq1534
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अवधारणा परिचय:-

कविता भाषा का लिखित और बोली जाने वाला रूप है जिसमें वाक् प्रवाह होता है और व्याकरणिक संरचना दोनों स्वाभाविक होती है।

व्याख्या:-

हमें एक प्रश्न प्रदान किया गया है

हमें इस प्रश्न का समाधान खोजने की जरूरत है

बस स्पष्ट और धीरे बोलें। जाहिर है, कविताएँ पंक्तियों में आती हैं, लेकिन हर पंक्ति के अंत में रुकने से एक तड़का हुआ प्रभाव पैदा होगा और कविता के भाव का प्रवाह बाधित होगा। पाठकों को केवल वहीं विराम देना चाहिए जहां विराम चिह्न हों, ठीक वैसे ही जैसे आप गद्य पढ़ते समय करते हैं, केवल अधिक धीरे-धीरे। कला के रूप मनुष्यों को केवल भावनाओं को अपने दम पर प्रबंधित करने की तुलना में भावनात्मक मुक्ति में अधिक संतुष्टि देते हैं। कला लोगों को या तो काम बनाकर या उनके सामने जो कुछ भी देखती है उसे देखकर और छद्म अनुभव करके दबी हुई भावनाओं की एक रेचक रिलीज करने की अनुमति देती है।

अंतिम उत्तर:-

इसका सही उत्तर है कि कविताएँ पंक्तियों में आती हैं, लेकिन हर पंक्ति के अंत में रुकने से एक तड़का हुआ प्रभाव पैदा होगा और कविता के भाव का प्रवाह बाधित होगा।

#SPJ3

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