असुवन जल सीचि-सींचि प्रेम -बेली बोई
अब तो बेली फैल गई, आनंद -फल होई
क) उपर्युक्त पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए।
ख) उपर्युक्त पंक्तियों के शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए ।
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असुवन जल सीचि-सींचि प्रेम -बेली बोई
अब तो बेली फैल गई, आनंद -फल होई
क) उपर्युक्त पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए।
इस पद में मीराबाई श्री कृष्ण जी के प्रति अपनी भक्ति का वर्णन किया गया है| श्री कृष्ण के अतिरिक्त उनके कोई दूसरा आराध्य देव नहीं है| मैं श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति प्रेम को बेल को बो दिया है और उसे आंसुओं से जल सींचकर विकसित कर दिया है| श्री कृष्ण के वियोग के कारण मैंने अपने आंसुओं को कृष्ण जी के प्रति प्यार में बदल दिया है|
ख) उपर्युक्त पंक्तियों के शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए ।
मरे तो गिरधर गोपाल पद है| यह पद कृष्ण कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है| मीरा जी ने श्री कृष्ण को अपना पति मानकर उनकी भक्ति की है | मीरा ने किसी भी प्रकार की परवाह नहीं की| इस पद में अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है| राजस्थानी और बज्र भाषा का प्रयोग किया गया है|
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असुवन जल सीचि-सींचि प्रेम -बेली बोई
अब तो बेली फैल गई, आनंद -फल होई
क) उपर्युक्त पंक्तियों के भाव स्पष्ट कीजिए।
इस पद में मीराबाई श्री कृष्ण जी के प्रति अपनी भक्ति का वर्णन किया गया है| श्री कृष्ण के अतिरिक्त उनके कोई दूसरा आराध्य देव नहीं है| मैं श्रीकृष्ण के प्रति भक्ति प्रेम को बेल को बो दिया है और उसे आंसुओं से जल सींचकर विकसित कर दिया है| श्री कृष्ण के वियोग के कारण मैंने अपने आंसुओं को कृष्ण जी के प्रति प्यार में बदल दिया है|
ख) उपर्युक्त पंक्तियों के शिल्प सौंदर्य स्पष्ट कीजिए ।
मरे तो गिरधर गोपाल पद है| यह पद कृष्ण कवयित्री मीराबाई द्वारा रचित है| मीरा जी ने श्री कृष्ण को अपना पति मानकर उनकी भक्ति की है | मीरा ने किसी भी प्रकार की परवाह नहीं की| इस पद में अनुप्रास और रूपक अलंकार का प्रयोग हुआ है| राजस्थानी और बज्र भाषा का प्रयोग किया गया है|
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