असहयोग आंदोलन एवं सविनय अवज्ञा आंदोलन में क्या क्या समानताए है एवं असमानता हैं?
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भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोलन ऐतिहासिक क्षण थे। दोनों ने यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई कि 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश शासन से भारत की स्वतंत्रता की गारंटी थी और दोनों महात्मा गांधी के दिमाग की उपज थे।
यद्यपि दोनों आंदोलनों में भारत की पूर्ण स्वतंत्रता थी, जिस तरह से उन्हें निष्पादित किया गया था और नियोजित कार्यप्रणाली उल्लेखनीय रूप से भिन्न थी।
असहयोग आंदोलन ने सरकार को एक ठहराव में लाकर ब्रिटिश औपनिवेशिक अधिकारियों का ध्यान आकर्षित किया।
सविनय अवज्ञा आंदोलन ने नियमों और प्रशासन के एक विशिष्ट सेट को तोड़कर सरकार को पंगु बनाने की कोशिश की
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