असहयोग आंदोलन के दौरान घटित होने वाली कुछ गतिविधियों की झलकियां दिखाएं..
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1914-18 के महान युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया था और बिना जाँच के कारावास की अनुमति दे दी थी। अब सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों को जारी रखा गया। इसके जवाब में गाँधी जी ने देशभर में 'रॉलेट एक्ट' के खिलाफ़ एक अभियान चलाया। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कस्बों में चारों तरफ़ बंद के समर्थन में दुकानों और स्कूलों के बंद होने के कारण जीवन लगभग ठहर सा गया था। पंजाब में, विशेष रूप से कड़ा विरोध हुआ, जहाँ के बहुत से लोगों ने युद्ध में अंग्रेजों के पक्ष में सेवा की थी और अब अपनी सेवा के बदले वे ईनाम की अपेक्षा कर रहे थे। लेकिन इसकी जगह उन्हें रॉलेट एक्ट दिया गया। पंजाब जाते समय गाँधी जी को कैद कर लिया गया। स्थानीय कांग्रेसजनों को गिरफ़तार कर लिया गया था। प्रांत की यह स्थिति धीरे-धीरे और तनावपूर्ण हो गई तथा अप्रैल 1919 में अमृतसर में यह खूनखराबे के चरमोत्कर्ष पर ही पहुँच गई। जब एक अंग्रेज ब्रिगेडियर ने एक राष्ट्रवादी सभा पर गोली चलाने का हुक्म दिया तब जालियाँवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाने गए इस हत्याकांड में लगभग 1,000 लोग मारे गए और 1600 घायल हुए।
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✯असहयोग आंदोलन के दौरान
घटित होने वाली कुछ गतिविधियों की
झलकियां देखें :
➊. अनेकों छात्रों ने सरकारी स्कूल और कॉलेज छोड़ दिए और स्वदेशी स्कूलों में भर्ती होने लगी।
➋. अंग्रेजी कपड़े व शराब की दुकानों पर धरने दिए गए। अंग्रेजी चीजों के बहिष्कार के साथ-साथ स्वदेशी चीजों को बढ़ावा देने की कोशिश भी हुई।
➌. देश भर में कई वकीलों ने कचहरी में वकालत छोड़ दी।
➍. गांधी जी ने लोगों द्वारा चरखा चलाने व सूत कातने तरीका अभियान जोड़ दिया।
➎. छोटे-बड़े शहरों में सैकड़ों लोगों के जत्थे जुलूस में निकलते और पुलिस के आगे गिरफ्तारी देते। पुलिस उन्हें रोकती,उन पर लाठियां बरसाती,पर लोग पुलिस पर हाथ भी नहीं उठाते। एक जत्था पीटते हुए गिरफ्तार हो जाता तो उसके पीछे दूसरा जत्था 'इंकलाब जिंदाबाद' 'चरखा चला चला के हम स्वराज लेंगे' और 'महात्मा गांधी' की जय के नारे लगाते हुए आता और शांतिपूर्वक गिरफ्तारी देता है।
अंग्रेज शासन की हिंसा का मुकाबला लोग शांति और दृढ़ता से सत्य के लिए आग्रह करके करते।
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Hema90:
thank you so much
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