असहयोग आंदोलन' से आप क्या समझते हैं? हरिशंकर परसाई जी ने बस की तुलना गाँधीजी के 'असहयोग' और 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' से क्यों किया होगा?
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असहयोग आंदोलन' से आप क्या समझते हैं? हरिशंकर परसाई जी ने बस की तुलना गाँधीजी के 'असहयोग' और 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' से क्यों किया होगा?
बस की यात्रा हरिशंकर परसाई जी द्वारा लिखी गई है| इस पाठ में कवि ने यातायात की दुर्व्यवस्था का वर्णन किया गया है |
लेखन ने बस की हालत को देखकर कहा कि बस के हिस्सों को देखकर गाँधी जी के असहयोग आंदोलन की याद आ रही है | जिस प्रकार भारतीयों ने अंग्रेजों का साथ नहीं दिया था | बस का बीच-बीच में सही रूप ने न चलना , थोड़ा सा चलने के बाद रुक जाना , बार-बार विरोध करना , लेखक को सविनय अवज्ञा आंदोलन की याद दिलाता है |
बस का हर हिस्सा दूसरे से असहयोग कर रहा था | पूरी बस सविनय अवज्ञा आंदोलन की तरह लग रहा था | सीट की बॉडी से असहयोग चल रहा था | कभी लग रहा था सीट बॉडी आगे भागी जा रही है | आठ-दस मिल चलने पर सारे भेद-भाव मिट गए | ऐसा लग रहा था कि सीट पर हम बैठे है या सीट हम पर बैठी है |