asahyog Andolan Mahatma Gandhi dwara kyu Wapas le gaya tha aur kab?,,?,,
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गाँधीजी के असहयोग आन्दोलन (Non-cooperation movement) शुरू करने के पीछे सबसे प्रमुख कारण था –अंग्रेजी सरकार की अस्पष्ट नीतियाँ. सरकार के सुधारों से जनता असंतुष्ट थी, सर्वत्र आर्थिक संकट छाया हुआ था तथा महामारी और अकाल फैला हुआ था. ऐसे समय में अंग्रेजी सरकार द्वारा 1919 को रोलेट एक्ट (Roulette Act) प्रस्तुत किया गया जो भारतीयों की नज़र में एक काला कानून था. रोलेट समिति की रिपोर्ट के विरुद्ध हर जगह विरोध हो रहे थे. इस एक्ट के विरोध में पूरे देश में हड़ताल करने का निश्चय किया गया. जब भारतीय विधान सभा में उस विधेयक पर चर्चा हो रही थी, गाँधीजी वहाँ दर्शक के रूप में उपस्थित थे.
सरकार के दमन के खिलाफ विरोध प्रकट करने के लिए अमृतसर में जालियाँवाला बाग़ (Jallianwala Bagh) में आयोजित की गई. जनरल डायर ने सभा को रोकने का कोई उपाय नहीं किया लेकिन उसके शुरू होते ही वह वहाँ पहुँच गया और अपने साथ हथियार-बंद सेना की टुकड़ी और गाड़ियाँ ले गया. बिना चेतावनी दिए उसने आदेश दिया: “तब तक गोली चलाओ जब तक गोला-बारूद ख़त्म न हो जाए.” सारे देशभक्त लोगो के विरोध के बावजूद भी यह विधेयक कानून के रूप में पास कर दिया गया. सैकड़ों पुरुष, स्त्री और बच्चे भून डाले गए.
तब गाँधीजी ने लोगों को सलाह दी कि वे हर तरह से सरकार से असहयोग करें. उन्होंने लोगों से कहा कि वे ब्रिटिश सारकार (British Government) के द्वारा दिए जाने वाले खिताब स्वीकार नहीं करें और जो पहले उन्हें स्वीकार कर चुके हैं वे उन्हें लौटा दें. उन्होंने स्वयं “कैसरे हिन्द (Kaiser-i-Hind)” नामक स्वर्ण-पदक भी लौटा दिया.
MARK BRAINLIEST...
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गाँधी जी के नेतृत्व मे चलाया जाने वाला यह प्रथम जन आंदोलन था। इसमे असहयोग और व्यास काल की निती प्रमुखत: से अपनाई गई। इस आंदोलन का व्यापक जन आधार था। शहरी क्षेत्र मे मध्यम वर्ग तथा ग्रामिण क्षेत्र मे किसानो और आदीवासियो का इसे व्यापक समर्थन मिला। इसमे श्रमिक वर्ग की भी भागिदारी थी। इस प्रकार यह प्रथम जन आंदोलन बन गया। 1914-1918 के महान युद्ध के दौरान अंग्रेजों ने प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया था और बिना जाँच के कारावास की अनुमति दे दी थी। अब सर सिडनी रॉलेट की अध्यक्षता वाली एक समिति की संस्तुतियों के आधार पर इन कठोर उपायों को जारी रखा गया। इसके जवाब में गाँधी जी ने देशभर में 'रॉलेट एक्ट' के खिलाफ़ एक अभियान चलाया। उत्तरी और पश्चिमी भारत के कस्बों में चारों तरफ़ बंद के समर्थन में दुकानों और स्कूलों के बंद होने के कारण जीवन लगभग ठहर सा गया था। पंजाब में, विशेष रूप से कड़ा विरोध हुआ, जहाँ के बहुत से लोगों ने युद्ध में अंग्रेजों के पक्ष में सेवा की थी और अब अपनी सेवा के बदले वे ईनाम की अपेक्षा कर रहे थे। लेकिन इसकी जगह उन्हें रॉलेट एक्ट दिया गया। पंजाब जाते समय गाँधी जी को कैद कर लिया गया। स्थानीय कांग्रेसजनों को गिरफ़तार कर लिया गया था। प्रांत की यह स्थिति धीरे-धीरे और तनावपूर्ण हो गई तथा अप्रैल 1919 में अमृतसर में यह खूनखराबे के चरमोत्कर्ष पर ही पहुँच गई। जब एक अंग्रेज ब्रिगेडियर ने एक राष्ट्रवादी सभा पर गोली चलाने का हुक्म दिया तब जालियाँवाला बाग हत्याकांड के नाम से जाने गए इस हत्याकांड में लगभग 1,000 लोग मारे गए और 1600-1700 घायल हुए।