Hindi, asked by Tejasaditya3667, 1 year ago

अशोक का सबसे लंबा शिलालेख कौन सा है?
A. पहला
B. पांचवां
C. छठा
D. सातवाँ

Answers

Answered by Sauron
6
the answer is option d
D. सातवाँ
सातवाँ अभिलेख सबसे लम्बा है।
Answered by payalchatterje
0

Answer:

अशोक का सबसे लंबा शिलालेख सातवाँ है |

अशोक के शिलालेख – अशोक मौर्य वंश का प्रसिद्द शासक था, इसे अशोक महान भी कहा जाता है। अशोक के अभिलेखों को तीन भागों में बांटा गया है :- शिलालेख, स्तंभलेख व गुहालेख।

भारत में शिलालेख का प्रचलन सर्वप्रथम अशोक ने किया। अशोक के शिलालेखों की खोज 1750 ईo में टी फैंथेलर ने की, इनकी संख्या 14 है। परन्तु अशोक के अभिलेखों को पढ़ने में पहली सफलता 1837 ईo जेम्स प्रिंसेप को मिली।

अशोक के प्रमुख शिलालेख व उनमें वर्णित विषय :-

पहला शिलालेख :-

इस लेख को गिरनार संस्करण भी कहा जाता है। इसमें पशुबलि की निंदा की गयी और उसे निषेध किया गया है। ऐसे समाज जिनमें पशु वध होता हो, पर भी प्रतिबन्ध लगाया। इसमें अशोक ने कहा है कि अभी राजकीय पक्षाला में एक हिरण व दो मोर मारे जाते हैं। भविष्य में यह भी समाप्त कर दिया जायेगा।

दूसरा शिलालेख :-

इसमें अशोक ने कहा है कि “मैंने अपने सीमांत शक्तियों व पड़ोसी राज्यों में भी मानव व पशु चिकित्सा का प्रबंध किया है”।

तीसरा शिलालेख :-

इसमें रज्जुक, युक्त व प्रादेशिक का उल्लेख किया गया है। राजकीय के 12वें वर्ष अधिकारीयों को यह आदेश दिया कि वे हर 5 वर्ष बाद दौरे पर जाएँ। इसमें कुछ धार्मिक नियमों का भी उल्लेख है।

चौथा शिलालेख :-

इस अभिलेख में भेरीघोष की स्थान पर धममघोष की स्थापना की गयी। धर्मानुशासन ही अच्छा काम है जिसके लिए मनुष्य को शीलवान होना आवश्यक है।

पाँचवाँ शिलालेख :-

इस शिलालेख से धर्म महामात्रों की नियुक्ति की जानकारी मिलती है। अशोक कहता है “मैंने राज्याभिषेक के 13 वें वर्ष धर्म महामात्रों की नियुक्ति की।”

छठा शिलालेख :-

इसमें आत्म नियंत्रण की शिक्षा दी गयी है। इसमें अशोक अपने प्रतिवेदकों को आदेश देता है कि मैं जहाँ भी रहूँ, मुझे प्रजा के विषय में सूचना दें। सर्वलोक हित से बढ़कर कोई काम नहीं।

सातवां शिलालेख :-

इसमें अशोक की तीर्थ यात्राओं का वर्णन किया गया है। वह कहता है “सब जगह सब सम्प्रदाय के मनुष्य निवास करें क्योंकि वे सब संयम व आत्मशुद्धि चाहते हैं।

आठवां शिलालेख :-

इसमें भी अशोक की धम्म यात्राओं का वर्णन किया गया है। उसने राज्याभिषेक के 10वें वर्ष धम्म यात्राएं शुरू की और सबसे पहले बोधगया की यात्रा की। अशोक ने कुल 256 रातें अपनी धम्म यात्रा में बितायीं।

नौवां शिलालेख :-

इस शिलालेकह में सच्ची भेंट और सच्चे शिष्टाचार का वर्णन किया गया है। इसमें धम्म मंगल को सर्वश्रेष्ठ घोषित किया। “दासों और सेवकों से शिष्ट व्यवहार करें तथा श्रमणों, गुरुजनों और ब्राह्मणों का सम्मान करें”।

दसवां शिलालेख :-

इसमें आदेश दिया है कि राजा तथा उच्च अधिकारी हमेशा प्रजा के हित में कार्य करें। इसमें यश व कीर्ति की निंदा की तथा धम्मनीति की श्रेष्ठता पर विचार किया गया है।

ग्यारहवां शिलालेख :-

इसमें धम्म की व्यवस्था की गयी तथा धम्मदान को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है।

बारहवां शिलालेख :-

इसमें स्त्री महामात्रों और व्रजभूमिकों की नियुक्ति का उल्लेख किया गया है। इसमें अशोक की धार्मिक सहिष्णुता को दर्शाया गया है। इसमें सभी सम्प्रदायों के सम्मान की बात कही गयी है।

तेरहवां शिलालेख :-

इसमें कलिंग युद्ध और अशोक के ह्रदय परिवर्तन का वर्णन किया गया है। इसमें धम्म विजय को सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इसी में पड़ोसी राजाओं का भी जिक्र किया गया है। इसी में अशोक ने आटविक जनजातियों को धमकी दी है “धम्म का मार्ग चुनें अन्यथा परिणाम बुरा होगा”।

चौदवां शिलालेख :-

इसमें अशोक ने जनता को धार्मिक जीवन व्यतीत करने का सन्देश दिया। “मेरा राज्य बहुत बड़ा है इसमें बहुत से लेख लिखवाये गए हैं, आगे भी लिखबाऊंजा। हो सकता है इन लेखों में कुछ त्रुटि रह गयी हो।

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